प्रदीप द्विवेदी. श्याम संस्कृति मुकेश भारद्वाज की एक सुंदर अभिव्यक्ति है, जिसमें उन्होंने देश की गंगा-जमुनी तहजीब को बेहद खूबसूरत अंदाज में पेश किया है.
वे कहते हैं…. भारतीय संस्कृति कृष्ण जैसी श्यामल है. कृष्ण को समझ लीजिए तो संस्कृतियों के मिश्रण वाली भारतीय संस्कृति भी समझ आ जाएगी. जन्म देने वाली कोई और, पालने वाली कोई और. कृष्ण के रंग को श्याम रखा गया है. ज्यों-ज्यों हम उत्तर से दक्षिण की ओर जाते हैं देवता का वर्ण अश्वेत होता जाता है. कृष्ण श्याम हैं, मतलब न तो गोरे और न काले. कृष्ण का श्याम रंग उत्तर और दक्षिण को जोड़ने वाली कड़ी है. यह आर्य और अनार्यों की बहस की कट्टरता पर भी विराम लगाती है. वैदिक से द्रविड़ संस्कृति के जोड़ में भी कृष्ण हैं. हम इसी श्याम संस्कृति के वारिस हैं जो हर रंग को खुद में समा लेती है. राजनीतिक इकाई से अहम वो सांस्कृतिक इकाई है जो भारत के लोगों को हर काल में एक सूत्र से जोड़ती है!
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