प्रदीप द्विवेदी. यह प्रसिद्ध अभिनेता गोविंदा की तकदीर ही थी, जो एक्कीसवीं सदी में रेड न्यूज का दौर शुरू होने से पहले ही वे सुपर स्टार बन गए थे, वरना इस सदी में तो कई प्रतिभावान एक्टर बाॅलीवुड की सीमा से ही बाहर कर दिए गए हैं? वर्ष 2014 में जब गोविंदा अपनी महत्वाकांक्षी फिल्म- अभिनय चक्र बना रहे थे, तब अपनी फिल्म को लेकर बड़े उत्साहित थे. उनके आॅफिस में उन्होंने हमें इस फिल्म के कुछ हिस्से दिखाए थे और इस पर खुलकर चर्चा भी की थी. उस समय दमदार पुलिस आॅफिसर की फिल्में खूब पसंद भी की जा रही थी, फिल्म पूरी हो गई, लेकिन तब यह फिल्म दर्शकों तक पहुंच ही नहीं पाई? और, जब कुछ वर्षों बाद कुछ सिनेमाघर तक पहुंची भी तब तक दर्शकों की पसंद बदल चुकी थी, परिणाम? एक मीठे सपने का कड़वा अंत हो गया! गोविंदा के आॅफिस में देर रात तीन बजे तक उनसे विभिन्न विषयों पर चर्चा होती रही. उस दौरान मैंने मीडिया में पनपी पेड न्यूज के अलावा रेड न्यूज के बढ़ते असर का भी जिक्र किया था. याद रहे, बीसवीं सदी में पेड न्यूज का बोलबाला था, पैसा दो, अपने समर्थन में खबरें छपवाओ, एक्कीसवीं सदी की शुरूआत में रेड न्यूज का प्रचलन बढ़ा, पैसा दो, अपने विरोधी की इमेज खराब कर दो, आजकल फेक न्यूज का जोर है, पैसा दो, कैसी भी न्यूज लिखवा लो? पेड, रेड और फेक न्यूज के शिकार राजनीति से लेकर बाॅलीवुड के बड़े-बड़े सितारे तक हो रहे हैं? यही वजह है कि आज के माहौल में गोविंदा जैसे प्रतिभाशाली एक्टर को भी परेशानी हो रही है. हाल ही प्रेस से बातचीत करते हुए उनका कहना था कि…. यह तौर-तरीका ही नहीं है. इस वक्त यह क्या डिस्कस करूं मैं आप लोगों से कि इस सिनेमा में ऐसा था, इस सिनेमा में ऐसा था, अरे, सिनेमा ही नहीं दिखा रहे हैं. फिल्म तो दिखाइए. मुझे मंच तो प्रदान कीजिए, मुझे अवसर तो प्रदान कीजिए, मैंने ऐसी क्या गलती कर दी, मुझे नहीं समझ में आ रहा है! बहरहाल, सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद बाॅलीवुड के सुनहरे पर्दे के पीछे छिपे गंदे चेहरे भी उभर कर सामने आ रहे हैं, इसने बाॅलीवुड के कई वर्तमान लोकप्रिय और सफल चेहरों का मेकअप उतार के रख दिया है?