प्रदीप द्विवेदी. छोटी उम्र में बड़ा नाम कमाने वाले कार्टूनिस्ट कमल किशोर का मानना है कि…. कार्टूनिस्ट होने की पहली शर्त है, व्यक्ति का पूर्वाग्रह से रहित (निष्पक्ष) होना, जो व्यक्ति स्वयं निष्पक्ष नहीं हो सकता उसको कार्टूनिस्ट नहीं कहा जा सकता!
वर्ष 2019 के दौरान कमल किशोर के कार्टून ने खूब धमाल मचाई.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इंटरव्यू देने का अंदाज हो या चुनावी गठबंधन, केन्द्र और पश्चिम बंगाल की सियासत में उलझा लोकतंत्र हो या टिकट बंटवारे के विवाद, विरोध के नए अंदाज हों या राजनीति में भ्रष्टाचार, पक्ष-विपक्ष के सच्चे-झूठे आरोप हों या वरिष्ठ राजनेता की जबरन सेवानिवृत्ति, देश में मंदी हो या भ्रष्ट नेताओं की चांदी, ईडी-सीबीआई की भूमिका हो या पार्न का बढ़ता असर, मीडिया के अनोखे कारनामे हों या 2020 की आशंकाएं, 2019 में कमल किशोर ने कमाल के पंच दिए हैं!
उनका मानना है कि कार्टून में चित्र से ज्यादा पंच (लिखे शब्द) और भाव की भूमिका अधिक होती है. हास्य से ज्यादा व्यंग्य की प्रधानता होती है. कार्टून विधा एक कठिन कार्य है. किसी भी तरह से नकल करना यहां अक्षम्य अपराध है.
कमल किशोर सेल्फ-ट्रेंड कार्टूनिस्ट हैं, जो करीब डेढ़ दशक से अपनी कला का कमाल दिखा रहे हैं. उन्होंने इस कला का कोई व्यासायिक प्रशिक्षण प्राप्त नहीं किया है, अलबत्ता चित्रकारी के प्रति बचपन से ही लगाव जरूर रहा था.
उन्होंने स्नातक के बाद इग्नू से ‘सृजनात्मक लेखन में डिप्लोमा’ और पत्रकारिता में स्नातकोतर की उपाधि प्राप्त की और रोजगार की तलाश में जयपुर पहुंच गए. प्राथमिकता तो पत्रकारिता थी, लेकिन कामयाबी तो कहीं और इंतजार कर रही थी.
उन्हें कार्टूनिस्ट के रूप में पहला ब्रेक “दैनिक वक्त इंडिया” अखबार में मिला तो इस वक्त जनटीवी न्यूज चैनल में करीब पांच वर्षों से कार्यरत हैं.
उन्होंने प्रकाश कुंज, राजस्थान सम्राट, गोल्डसुख न्यूज, करंट ज्वाला जैसे कई दैनिक समाचार पत्रों में तो कार्य किया ही साथ ही मुकाबला, संचार दूत, बेस्ट रिपोर्टर, राज मीडिया टाइम्स, उजली किरण जैसी साप्ताहिक पत्र-पत्रिकाओं में भी बतौर कार्टूनिस्ट अपनी प्रतिभा प्रदर्शित की.
जनटीवी न्यूज चैनल पर ‘जनबाण’ नाम से प्रसारित होने वाले दैनिक कार्टून ने इन्हें लोकप्रियता की बुलंदियों पर पहुंचाया. यही नहीं, उनके कार्टून समय-समय पर जस्टिस काटजू, डाॅ. कुमार विश्वास, अरविंद केजरीवाल, इंडियन नेशनल कांग्रेस के आफिशियल पेज आदि पर भी पोस्ट किए गए, ट्वीट किए गए जो लाखों लोगों तक पहुंचे.
कमल किशोर के कार्य को सही सम्मान मिला वर्ष 2013 में जब उन्हें प्रतिष्ठित ‘माणक अलंकरण’ पुरस्कार (कार्टूनिस्ट की श्रेणी में) प्रदान किया गया. इतना ही नहीं, बैंगलोर स्थित ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कार्टूनिस्ट’ में प्रदर्शन के लिए इनके कार्टून्स का चयन हुआ, जिन्हें प्रदर्शित भी किया गया!
*कमल किशोर के कार्टून का आनंद लें….