श्रीमती अनिता
आधी दुनिया, पूरा हक! पढऩा किसे अच्छा लगता है? लेकिन जीवन में कामयाबी चाहिए, लक्ष्य हांसिल करना है, जीवन में कुछ खास कर दिखाना है तो पढऩा पड़ेगा!
सदियों से पढऩे के बेहतर अवसर पुरुषों को मिलते रहे हैं और इसीलिए क्षमता की दृष्टि से बराबर होने के बावजूद कई क्षेत्रों में पुरुष, महिलाओं से बहुत आगे हैं! अब महिलाओं के लिए पढऩे के… आगे बढऩे के रास्ते खुले हैं तो इसका सद्उपयोग करना चाहिए.
इंसान अपने जीवन में स्कूल-कॉलेज की नियमित पढ़ाई करके डिग्री भले ही हांसिल कर ले पर जीवन में सफलता की अघोषित डिग्री पाने के लिए उसे एकलव्य की तरह अपनी पढ़ाई, अपनी प्रेक्टिस स्वयं करनी होगी. आपको अपने जीवन में क्या चाहिए? आपका लक्ष्य क्या है? आप यह लक्ष्य कैसे प्राप्त करेंगे? इन सारे सवालों के जवाब आपको कोई बाहरी व्यक्ति नहीं दे सकता. इसका जवाब भीतर ही तलाशना होगा क्योंकि आपका इंट्रेस्ट क्या है? आपकी खुशी किसमें है? यह न तो आपसे बेहतर कोई समझ सकता है और न ही आप हर व्यक्ति को एक्सप्लेन कर सकते हैं. जब एक खिलाड़ी मैदान की ओर जाता है तो दुकान पर बैठा सेठ सोचता है कि बावला है, कोई काम धंधा तो करता नहीं है और समय बर्बाद कर रहा है. खिलाड़ी सोचता है कि सेठ अपना शरीर बेड़ोल करता जा रहा है और जाने किसके लिए नोट इकटृठे कर रहा है? दोनों अपनी जगह सही हैं और दोनों ही गलत भी. खिलाड़ी अगर खेल छोड़कर दुकान पर बैठेगा तो कुछ खास नहीं कर पाएगा और सेठ मैदान में उतर गया तो वह भी कुछ नहीं कर सकेगा. ज्यादा बेहतर तो यह है कि दूसरों के बारे में सोचना छोड़कर अपने बारे में सोचे कि आपको किस क्षेत्र में कामयाबी पानी है और उस क्षेत्र की स्टडी करके, नॉलेज प्राप्त करके आगे बढ़े. वे लोग सुखी और कामयाब होते हैं जो स्वयं की पसंद के अनुरूप… स्वयं के टेलेंट के अनुसार… स्वयं की क्षमता के सापेक्ष, सच्चे दिल से कार्य करते हैं, सबके अनुभवों और सलाह का लाभ लेते हैं. ताउम्र सीखने, समझने और पढऩेवाले अपने जीवन में सफलतम साबित होते हैं!
इसीलिए महिलाओं की सच्ची आजादी है… बेटी पढ़े, बेटी आगे बढ़े!