01 अगस्त, 1987 को दिल्ली में पैदा हुईं तापसी पन्नू साफ्टवेयर इंजीनियर हैं लेकिन मॉडलिंग में जबर्दस्त रूझान होने से उन्होंने जॉब बीच में छोड़कर, मॉडलिंग की दुनिया में कदम रखते हुए ’पैंटालून्स फेमिना मिस फ्रेश फेस’ तथा ’साफी फेमिना मिस ब्यूटीफुल स्क्रिन 2008’ के खिताब जीते।
तेलुगू फिल्म ’झूमंडी नादम’ (2010) से तापसी पन्नू ने सिल्वर स्क्रीन पर अपनी अभिनय यात्रा की शुरूआत की। इसके बाद उनकी तमिल फिल्म ’आदुकलम’ और सुपर नेचुरल फिल्म ’कंचना 2’ बॉक्स ऑफिस पर जबर्दस्त हिट रही। डेविड धवन की कॉमेडी फिल्म ’चश्मेबद्दूर’ (2013) के साथ तापसी ने बॉलीवुड में पहला कदम रखा।
तापसी पन्नू ने ’बेबी’ (2015) मंे जबर्दस्त एक्शन करके साबित कर दिया कि इस फन में भी उनका कोई सानी नहीं है। उसके बाद ’पिंक’ (2016) ’नाम शबाना’ (2017) ’जुड़वां 2’ (2017) ’सूरमा’(2018) ’मुल्क’ (2018) और ’मनमर्जिया’ (2018) जैसी फिल्मों के जरिये उन्होंने बॉलीवुड में एक लंबी लेकिन मजबूत यात्रा तय की है।
’पिंक’ (2016) के बाद तापसी पन्नू एक बार फिर, ’बदला’ (2019) में अमिताभ बच्चन के साथ नजर आईं। उनकी यह फिल्म भी जबर्दस्त हिट रही। बिना किसी बैकग्राउंड के बॉलीवुड में आकर तापसी पन्नू ने एक बेहतरीन एकट्रेस के रूप में अपनी पहचान बनाई। वह अपनी हर फिल्म में एक बिलकुल नये और अनोखे अंदाज में नजर आईं।
अश्विन सरवनन के निर्देशन में तापसी पन्नू की हिंदी, तमिल और तेलुगु भाषाओं में बनी ’गेम ओवर’ ने पहले वीकेंड में 6.09 करोड़ की कमाई की। फिल्म का कंटेंट बहुत अच्छा था जो हर किसी को खूब पसंद आ रहा है। 10 करोड़ की लागत निकालने के बाद फिल्म ने मुनाफा कमाना शुरू कर दिया है।
तापसी पन्नू अनुराग कश्यप के साथ ’सांड की आंख’ कर रही हैं। इसमें वह 87 साल की शार्प शूटर चंद्रो तोमर का किरदार निभा रही हैं। उनके अपोजिट भूमि पेडनेकर 82 साल की प्रकाशी तोमर के किरदार में नजर आएंगी। 25 अक्टूबर को रिलीज होने जा रही इस फिल्म को तुषार हीरानंदानी डायरेक्ट कर रहे हैं।
तापसी पन्नू महिला सशक्तिकरण पर आधारित जगन शक्ति के निर्देशन में बन रही ’मिशन मंगल’ कर रही हैं। 15 अगस्त को रिलीज होने वाली इस फिल्म में वह वह अक्षय कुमार सोनाक्षी सिन्हा, विद्या बालन, शरमन जोशी और कीर्ति कुल्हरी के साथ नजर आएंगी।
अनुभव सिन्हा की महिला प्रधान ’थप्पड़’ के लीड रोल में तापसी पन्नू मध्यवर्गीय परिवार की एक ऐसी लड़की के किरदार में नजर आएंगी जिसके पास कुछ खास प्रतिभा मौजूद है। इसके अलावा वह मलयालम फिल्म ’साल्ट एंड पीपर’ (2011) का हिंदी रीमेक ’तड़का’ भी कर रही हैं।
’जीरो’ की नाकामी के बाद आनंद एल राय ’शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ बना रहे हैं। खबर है कि वे इसमें आयुष्मान खुराना के अपोजिट तापसी पन्नू का नाम करीब करीब फाइनल कर चुके हैं। प्रस्तुत हैं तापसी पन्नू के साथ की गई बातचीत के मुख्य अंशः
*इन दिनों आपकी फिल्म ’सांड की आंख’ काफी चर्चाओं में है। इसके बारे में कुछ बताइये ?
’सांड की आंख’ में, मैं देश की सबसे बुजुर्ग महिला शार्प शूटर का किरदार निभा रही हूं। मेरे साथ भूमि पेडनेकर का भी बड़ा जबर्दस्त किरदार है। उनके साथ इस फिल्म में काम करना मेरे लिए बेहतरीन अनुभव रहा। यह मुझे अब तक के अपने कैरियर का यह सबसे ज्यादा मुश्किल किरदार लगा। मैं नहीं जानती कि किस तरह मैं यह काम कर सकी। मैं जानती थी कि ’मनमर्जिया’ के बाद मैं अनुराग कश्यप के साथ दोबारा काम करूंगी लेकिन यह मौका इतनी जल्दी मिलेगा, इसका अंदाजा नहीं था।
*कहा जाता है कि ’पति पत्नी और वो’ के रीमेक के लिए आपका नाम लगभग फाइनल हो चुका था लेकिन फिर अचानक वह फिल्म आपके हाथों से फिसल गई ?
ऐसा मेरे साथ पहले भी हो चुका है और आगे भी होता रहेगा। यह मेरे लिए कोई नई बात नहीं है। यहां पर यह रवैय्या कभी नहीं बदल सकेगा। मैंने इस तरह की सिचुएशन के साथ खुद को अच्छी तरह एडजस्ट कर लिया है। लेकिन जिस तरह से इस फिल्म से मुझे अलग किया गया, वह अनुभव सबक सिखाने वाला रहा । अब किसी प्रोजेक्ट पर विचार करते हुए पहले से ज्यादा सावधानी रखने लगी हूं।
*हालिया प्रदर्शित फिल्म ’गेम ओवर’ के न सिर्फ कंटेंट की बल्कि फिल्म के लिए आपके काम की खूब प्रशंसा हो रही है ?
’गेम ओवर’ मेरे लिए बेहद खास है क्योंकि इसमें पहली बार मैंने व्हील चेयर पर बैठी एक ऐसी लड़की के किरदार निभाया है जो दिन पर वीडियो गेम की दुनिया में रहती है और किसी अदृश्य ताकत से डरती रहती है। काफी चैलेंजिंग रोल था। इसे निभाने के लिए मैंने दिमागी तौर पर काफी मेहनत की थी। मूलतः तमिल में बनी इस फिल्म को शुरू में हिंदी में डब किये जाने की कोई प्लानिंग नहीं थी लेकिन मेरी किस्मत थी जो इसे हिंदी में डब करके रिलीज किया गया। इसकी डबिंग मैंने खुद की है।
*आप बड़े से बड़े स्टार के साथ काम करते हुए अक्सर पूरी तरह बेखौफ नजर आती हैं। इसके बारे में क्या कहेंगी ?
मुझे लगता है कि मेरा पूरी तरह बेखौफ होना, मेरी सबसे बड़ी खूबी है। और मेरी यह खूबी उन सभी पर बहुत भारी पड़ रही है जो खूबसूरती के मामले में मुझसे कहीं आगे हैं। मैं शायद अपनी इस खूबी की बदौलत यहां पर मजबूती के साथ जमी हुई हूं।
*बेखौफ होना और बेखौफ नजर आना, दोनों में अंतर है। क्या वाकई बड़े स्टार्स के साथ काम करते हुए आपको कभी कोई मुश्किल पेश नहीं आती ?
मुश्किल क्यों आयेगी ? वे अपना काम करते हैं और मैं अपना। यदि मैं मुश्किल महसूस करूंगी, तब अपना काम किस तरह कर सकूंगी। अब तक मैंने जिन फिल्मों में काम किया, उनमें मेरे काम और किरदार दोनों को खूब सराहा गया। मुझे स्ट्रॉंग वूमन वाले किरदार मिलते रहे और मेरी इस तरह की इमेज बनती चली गई। शायद अब दर्शक बेवकूफ किस्म की नायिका को पर्दे पर देखना पसंद नहीं करते चाहे फिर वह कितनी ही खूबसूरत और ग्लैमरस क्यों न हो। मुझे दर्शकों की इस बदल रही रूचि का फायदा भी मिला है।
*तो ऐसे में क्या अपनी कामयाबी का सारा क्रेडिट दर्शकों को देना चाहेंगी?
बिलकुल, मैं ऑडियंस का दिल से धन्यवाद करती हूं कि उन्हें मेरी चुनी हुई फिल्में पसंद आ रही हैं। मैं जानती हूं कि ऑडियंस को हमेशा नई नई चीजें पसंद आती हैं इसलिए मैं अलग अलग किरदार करने की कोशिश करती हूं। एक एक्ट्रेस के तौर पर हमेशा मेरी कोशिश इस बात को जानने में रहती है कि मुझे किस तरह के किरदार या कहानियों वाली फिल्में करनी चाहिए।
*आपने कहा कि ऑडियंस की रूचि बदल रही है और नये तरह के सिनेमा को पसंद किया जाने लगा है। क्या आप इस बदलाव में और अधिक सुधार की गुंजाइश देखती हैं ?
बिलकुल, कोई चीज कितनी भी सुधर जाए लेकिन परफेक्ट कभी नहीं हो पाती । उसमें सुधार की गुंजाइश हर वक्त बनी रहती है। मुझे खुशी है कि हिंदी सिनेमा के लिए आज का दौर बड़ा अच्छा है जहां दर्शक ऐसी फिल्में भी पसंद कर रहे हैं जिनमें मसाला और मनोरंजन से ऊपर उठकर समाज के लिए कोई संदेश होता है।
*ग्लैमरस और कॉमेडी किरदारों में आपको अक्सर असहज पाया जाता रहा है ?
मुझे लगता है कि एक एक्ट्रेस को, ग्लैमरस केरेक्टर निभाते वक्त ज्यादा कुछ नहीं करना पड़ता, सिर्फ ग्लैमरस दिखना होता है और जरूरत पड़ने पर मैं भी ग्लैमरस दिख सकती हूं। यह बात मैंने ’जुड़वां 2’ के दौरान साबित भी की है लेकिन कॉमेडी करना, मुझे दूसरे जॉनर जितना आसान नहीं लगता। हर इंसान, आज अपनी जिंदगी में, इतना ज्यादा समस्याग्रस्त है कि उसे हंसाना सबसे ज्यादा मुश्किल हो चुका है।
*हर दिन अपना बेस्ट देने के लिए आपकी कोशिश किस तरह की होती है?
इसके लिए सबसे जरूरी है कि आप जो किरदार निभा रहे हैं, उसे दिल से महसूस करें। मेरी हमेशा कोशिश होती है कि मैं डिफरेंट किरदार निभाऊं, खासकर ऐसे जिनके बारे में ऑडियंस ने कभी मुझसे अपेक्षा न की हो ताकि दर्शकों को मेरा काम और किरदार दोनों सरप्राइजिंग लग सकें। मैं आफबीट या कमर्शियल के चक्कर में न उलझकर दोनों तरह की फिल्मों में संतुलन बनाकर आगे बढ़ने की कोशिश करती रहती हूं।
*पिछले कुछ समय से जिस तरह से आप अक्षय कुमार की तरह साल में 3-4 फिल्में करने लगी हैं, इस समानता के कारण आपको फीमेल अक्षय कुमार कहा जाने लगा है ?
न तो मैं अक्षय कुमार को फालो कर रही हूं, न उनकी किसी प्लानिंग को मैंने अडोप्ट किया है। इसे आप सिर्फ एक खूबसूरत इत्तफाक कह सकते हैं। जिस दिन मुझे लगेगा कि मुझे अक्षय कुमार जितनी कामयाबी मिल चुकी है, उस दिन खुशी खुशी मैं इस इंडस्ट्री को अलविदा कह दूंगी।
*सुभाष शिरढोनकर (अदिति)