Mumbai (WhatsApp- 9372086563). From helping them find their goals in life, to guiding them through their difficulties, this Teachers Day, TV actors talk about their mentors.
यादें 5 सितंबर… शिक्षक का भावार्थ हैं- डॉक्टर राधाकृष्णन्!
शिक्षक का भावार्थ… डॉक्टर राधाकृष्णन हैं। उनका जीवन एक आदर्श शिक्षक की परिभाषा है, इसलिए शिक्षक का अर्थ समझना हो तो डॉक्टर राधाकृष्णन के जीवन को समझना होगा। शिक्षक कैसा होता है? उसका जीवन कैसा होना चाहिए? उसके कार्य कैसे होने चाहिएं? आदि तमाम सवालों के जवाब उनकी जीवनी में समाए हुए हैं! उनका जन्मदिन पांच सितंबर को प्रतिवर्ष शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है। इस दिन समस्त देश में भारत सरकार द्वारा श्रेष्ठ शिक्षकों को पुरस्कार प्रदान किया जाता है। डॉक्टर राधाकृष्णन गैरराजनीतिक होते हुए भी देश के राष्ट्रपति बने। इससे यह प्रमाणित होता है कि यदि व्यक्ति अपने क्षेत्र में सर्वोत्तम कार्य करे तो भी दूसरे क्षेत्र उसकी प्रतिभा का आदर जरूर होता है। उन्हें एक उत्तम शिक्षक, श्रेष्ठ दार्शनिक, सच्चे देशभक्त एवं निष्पक्ष तथा कुशल राष्ट्रपति के रूप में सदैव याद किया जाएगा। राष्ट्रपति बनने के बाद कुछ शिष्य और प्रशंसक उनके पास गए और उन्होंने अनुरोध किया था कि वे उनका जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाना चाहते हैं। डॉक्टर राधाकृष्णन ने कहा- मेरा जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाने के आपके निर्णय से मैं स्वयं को गौरवान्वित महसूस करूँगा और तभी से पांच सितंबर देश भर में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। सन् 1967 तक राष्ट्रपति के रूप में वह देश की सेवा करते रहे। एक समय विख्यात दार्शनिक प्लेटो ने कहा था- राजाओं का दार्शनिक होना चाहिए और दार्शनिकों को राजा। डॉक्टर राधाकृष्णन पर यह दर्शन एकदम सही है! 13 मई, 1962 को एकत्तीस तोपों की सलामी के साथ ही उन्होंने राष्ट्रपति का कार्यभार संभाला। विश्व के सुप्रसिद्ध दार्शनिक बर्टेड रसेल की डॉ राधाकृष्णन के राष्ट्रपति बनने पर प्रतिक्रिया विश्वस्तर पर उनकी प्रतिष्ठा दर्शाती है कि- यह विश्व के दर्शन शास्त्र का सम्मान है कि महान भारतीय गणराज्य ने डॉक्टर राधाकृष्णन को राष्ट्रपति के रूप में चुना!
राष्ट्रपति बनने के बाद राधाकृष्णन ने भी पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद की तरहा स्वैच्छिक आधार पर राष्ट्रपति के वेतन से कटौती कराई थी। उन्होंने घोषणा की कि सप्ताह में दो दिन कोई भी व्यक्ति उनसे बिना पूर्व अनुमति के मिल सकता है। इस प्रकार राष्ट्रपति भवन को उन्होंने आम आदमी के लिए उपलब्ध करवा दिया। राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने ईरान, अफगानिस्तान, इंग्लैण्ड, अमेरिका, नेपाल, यूगोस्लाविया, चेकोस्लोवाकिया, रूमानिया, आयरलैण्ड जैसे कई देशों की यात्रा भी की। वे अमेरिका के राष्ट्रपति भवन व्हाइट हाउस में हेलीकॉप्टर से अतिथि के रूप में पहुँचने वाले विश्व के पहले व्यक्ति थे।
डॉ राधाकृष्णन ही थे जिन्होंने पंडित नेहरू को मजबूर किया था कि वे लालबहादुर शास्त्री को केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में स्थान प्रदान करें। उस समय कामराज योजना के तहत शास्त्री बिना विभाग के मंत्री थे। पंडित नेहरू के गम्भीर रूप से अस्वस्थ होने के कारण प्रधानमंत्री कार्यालय शास्त्री के परामर्श से ही चलता था।
सन् 1967 के गणतंत्र दिवस पर डॉक्टर राधाकृष्णन ने देश को सम्बोधित करते हुए यह स्पष्ट किया था कि वे अब किसी भी सत्र के लिए राष्ट्रपति नहीं बनना चाहेंगे, हालांकि सभी ने उनसे बहुत आग्रह किया कि वह अगले सत्र के लिए भी राष्ट्रपति का दायित्व स्वीकार करें, लेकिन डॉ राधाकृष्णन अपनी घोषणा पर पूरी तरह से कायम रहे!
फ्लैश बैक-
5 सितंबर, 1997- अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति ने सन् 2004 में होने वाले ग्रीष्म ओलम्पिक खेलों का आयोजन एथेन्स में कराने का निश्चय किया।
5 सितंबर, 1999- वाई नदी समझौते को क्रियान्वित करने तथा रुकी हुई पश्चिमी एशिया शांति वार्ता को आगे बढ़ाने हेतु इस्रिायल के प्रधानमंत्री एहुद बराक तथा यासिर अराफात के मध्य शर्म अल शेख में शांति समझौते पर हस्ताक्षर।
5 सितंबर, 2000- नील्जिमालम्बा रूस में अंतर्राष्ट्रीय महिला संगठन की अध्यक्ष नियुक्त, वे इस पद को सुशोभित करने वाली पहली एशियाई महिला हैं।
5 सितंबर, 2001- फिजी में महेन्द्र चौधरी, जार्ज स्पेट और लाइसेनिया करासे संसद हेतु चुने गये।
5 सितंबर, 2002- अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई पर जानलेवा हमला, लेकिन वे बच गए।
5 सितंबर, 2008- रतन टाटा के नेतृत्व में सोसायटी ऑफ इण्डियन ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरर्स (सियाम) के प्रतिनिधिमण्डल ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भेंट की।
5 सितंबर, 2009- नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने दस कम्पनियों पर शेयर बाजार में कारोबार करने पर प्रतिबंध लगाया।
जन्म दिन-
5 सितंबर, 1872- चिदंबरम पिल्लई, प्रख्यात समाज-सुधारक।
5 सितंबर, 1888- सर्वपल्ली राधाकृष्णन, भारत के दूसरे राष्ट्रपति।
5 सितंबर, 1905- वाचस्पति पाठक, सुप्रसिद्ध उपन्यासकार।
5 सितंबर, 1910- फिरोज पलिया, भारतीय क्रिकेटर
5 सितंबर, 1986- प्रज्ञान ओझा, भारतीय क्रिकेटर
पुण्य तिथि-
5 सितंबर, 1986- अम्बिका प्रसाद दिव्य, भारत के जाने-माने शिक्षाविद् और हिन्दी साहित्यकार।
5 सितंबर, 1991- शरद जोशी, सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार।
5 सितंबर, 1995- सलिल चौधरी, प्रसिद्ध भारतीय संगीतकार।
5 सितंबर, 1997- मदर टेरेसा, विश्व प्रसिद्ध समाज सेविका।
5 सितंबर, 1986- नीरजा भनोट, अशोक चक्र विजेता विमान परिचारिका।
महत्वपूर्ण दिवस-
5 सितंबर, शिक्षक दिवस
5 सितंबर, राष्ट्रीय पोषाहार दिवस (सप्ताह)
यादें 4 सितंबर… सूरज का सातवां घोड़ा!
यादें (4 सितंबर 1997) डॉ धर्मवीर भारती (25 दिसंबर 1926-4 सितंबर 1997) हिन्दी जगत के सितारा संपादक रहे हैं. वे संपादक ही नहीं, प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक भी थे. प्रसिद्ध पत्रिका धर्मयुग के प्रधान संपादक रहे डॉ धर्मवीर भारती उसकी खास पहचान बन गए थे.
उन्हें 1972 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया. उनका सदाबहार उपन्यास गुनाहों का देवता आज भी लोकप्रिय है तो सूरज का सातवां घोड़ा कहानी कला का अभिनव प्रयोग है, जिस पर श्याम बेनेगल ने इसी नाम की फिल्म भी बनायी थी. अंधा युग उनका ऐसा प्रसिद्ध नाटक है जिसका देश के कई जानेमाने रंगमंच निर्देशकों ने इसका मंचन किया है.
डॉ धर्मवीर भारती की उल्लेखनीय उपलब्धियां हैं…. गुनाहों का देवता (1949, उपन्यास), सूरज का सातवां घोड़ा (1952, उपन्यास), अन्धा युग (1953, नाटक) आदि
उन्हें वर्ष 1972 में पद्मश्री, 1984 में वैली टर्मेरिक द्वारा सर्वश्रेष्ठ पत्रकारिता पुरस्कार, 1988 में महाराणा मेवाड़ फाउण्डेशन का सर्वश्रेष्ठ नाटककार पुरस्कार, 1989 में संगीत नाटक अकादमी राजेन्द्र प्रसाद सम्मान, भारत भारती सम्मान, 1994 में महाराष्ट्र गौरव आदि अनेक सम्मान प्राप्त हुए.
फ्लैश बैक-
4 सितंबर, 1969- उत्तरी वियतनाम के राष्ट्रपति एवं राष्ट्रपिता हो ची मिन्ह का निधन।
4 सितंबर, 1998- अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने आयरलैंड के डबलिन में स्वीकार किया कि मोनिका लेविंस्की के साथ सम्बन्ध कायम करना बड़ी गलती थी।
4 सितंबर, 1999- ईस्ट तिमोर में सम्पन्न हुए जनमत संग्रह में 78.5 फीसदी जनता ने इंडोनेशिया से स्वतंत्रता के पक्ष में अपना मत प्रकट किया।
4 सितंबर, 2000- श्रीलंका के उत्तरी जाफना के बाहरी सीमाओं पर श्रीलंका सेना तथा मुक्ति चीते के बीच हुए संघर्ष में 316 लोग मारे गये।
4 सितंबर, 2005- लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शन करते नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला गिरफ्तार।
4 सितंबर, 2006- आस्ट्रेलिया के मशहूर टीवी स्टार और पर्यावरणविद् स्टीव इरविन का समुद्री मछली- स्टिंगरे के काटने से निधन।
4 सितंबर, 2007- ईरान के पूर्व राष्ट्रपति अकबर हाशमी रफसंजानी को ईरान की सर्वोच्च धार्मिक संस्था का प्रमुख चुना गया।
4 सितंबर, 2008- मायावती सरकार ने उत्तर प्रदेश संगठित अपराध विरोधी कानून (यूपीकोका) विधेयक-2007 को तत्काल प्रभाव से वापस करने का निर्णय लिया।
4 सितंबर, 2009- गुजरात उच्च न्यायालय ने जसवंत सिंह की मुहम्मद अली जिन्ना पर लिखी गई किताब पर गुजरात में लगे प्रतिबंध को हटाया।
4 सितंबर, 2009- कोयला कम्पनी एससीसीएल को मिनी रत्न कम्पनी के समान स्वायत्ता प्रदान की गयी।
जन्मदिन-
4 सितंबर, 1825- दादा भाई नौरोजी, प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ।
4 सितंबर, 1941- सुशील कुमार शिंदे, भारतीय राजनीतिज्ञ।
4 सितंबर, 1952- ऋषि कपूर, हिन्दी फिल्मों के अभिनेता।
4 सितंबर, 1962- किरण मोरे, भारतीय क्रिकेटर।
4 सितंबर, 1906- नंददुलारे वाजपेयी, हिन्दी के प्रसिद्ध पत्रकार। 4 सितंबर, 1895- सियारामशरण गुप्त, प्रसिद्ध साहित्यकार।
पुण्य तिथि-
4 सितंबर, 1997- धर्मवीर भारती, सुप्रसिद्ध संपादक।
4 सितंबर, 1912- मोहनलाल विष्णु पंड्या, भारतेंदु युग के प्रमुख साहित्यकार।
प्रमुख दिवस-
राष्ट्रीय पोषाहार दिवस (सप्ताह)
यादें 3 सितंबर… ओलम्पिक में पहला पदक दिलानेवाली और लेनेवाली!
साक्षी मलिक (जन्म- 3 सितम्बर 1992, रोहतक, हरियाणा) पहली भारतीय महिला पहलवान हैं, जिन्होंने देशवासियों की निराशा के बीच ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में हुए 2016 के ओलम्पिक खेलों में महिला कुश्ती का पहला काँस्य पदक जीत कर उत्साह का एक नया संदेश दिया। यही नहीं, साक्षी को भारत के लिए ओलम्पिक पदक जीतने वाली पहली महिला पहलवान बनने का गौरव भी प्राप्त हुआ है। साक्षी ने महिलाओं की फ्रीस्टाइल कुश्ती के 58 किग्रा भार वर्ग में यह पदक जीता है। इससे पहले उन्होंने ग्लासगो में आयोजित 2014 के राष्ट्रमण्डल खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए रजत पदक जीता था। 2014 की विश्व कुश्ती प्रतियोगिता में भी उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया था। साक्षी के पिता सुखबीर मलिक डीटीसी में बस कंडक्टर हैं तथा उनकी माता श्रीमती सुदेश मलिक एक आँगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं।
भारतीय महिलाओं में उत्साह पैदा करनेवाली एवं प्रेरणा प्रदान करनेवाली साक्षी ने 2016 ओलम्पिक में रेपचेज प्रणाली के तहत काँस्य पदक हासिल किया।
इस मुकाबले में वे शुरूआत में 5-0 से पीछे चल रहीं थी किंतु शानदार वापसी करते हुए अंत में 7-5 से मुकाबला अपने नाम कर लिया। आखरी कुछ सेकंड में जो दो विजयी अंक उन्होंने जीते उसे प्रतिद्वंद्वी पक्ष द्वारा चैलेंज किया गया, लेकिन निर्णायकों ने अपना फैसला बरकरार रखा और असफल चैलेंज का एक और अंक साक्षी के खाते में जुड़ा जिसे अंतिम स्कोर 8-5 हो गया। 2016 के ओलंपिक में भारत का यह पहला पदक था।
साक्षी की जीत बताती है कि जीवन की शुरूआती हार, शुरूआती कठिनाइयां कोई मायने नहीं रखती अगर जीत हांसिल करने की जिद हो! पदक जीतने के बाद उन्हें कई इनाम देने की घोषणा हुई, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं, हरियाणा सरकार- ढाई करोड़ रुपए, दिल्ली सरकार- एक करोड़ रुपए, रेलवे- 50 लाख रुपए, भारतीय ओलम्पिक संघ- 20 लाख रुपए और जेएसडब्ल्यू- 15 लाख रुपए…
फ्लैश बैक-
3 सितंबर, 1998- नेल्सन मंडेला द्वारा गुट निरपेक्ष आंदोलन शिखर सम्मेलन में कश्मीर का मुद्दा उठाये जाने पर प्रधानमंत्री वाजपेयी ने कड़ी आपत्ति दर्ज की।
3 सितंबर, 2003- पाकिस्तान सरकार द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने का निर्णय।
3 सितंबर, 2006- यूरोप का पहला त्रिवर्षीय चंद्र मिशन समाप्त। 3 सितंबर, 2006- भारतीय मूल के भरत जगदेव ने गुयाना के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली।
3 सितंबर, 2007- चीन के झिंगजियांग प्रान्त में चीनी व जर्मन विशेषज्ञों ने लगभग 16 करोड़ साल पुराने जीव के 17 दांत खोजने का दावा किया।
3 सितंबर, 2007- बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया और उनके सबसे छोटे पुत्र अराफात रहमान कोको को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया।
3 सितंबर, 2008- राजेन्द्र कुमार पचौरी को संयुक्त राष्ट्र की संस्था जलवायु परिवर्तन के अन्तर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) का पुन: प्रमुख चुना।
3 सितंबर, 2009- आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस रेड्डी की हेलीकाप्टर दुर्घटना में मौत।
जन्म दिन-
3 सितंबर, 1992- साक्षी मलिक, भारत की सुप्रसिद्ध महिला पहलवान।
3 सितंबर, 1940- प्यारेलाल, हिंदी सिनेमा की प्रसिद्ध संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल में से एक।
3 सितंबर, 1974- राहुल साघवी, हिन्दुस्तानी क्रिकेट खिलाड़ी।
3 सितंबर, 1976- विवेक ओबेराय, भारतीय अभिनेता।
3 सितंबर, 1926- उत्तम कुमार, भारतीय हिन्दी और बांग्ला फिल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता।
3 सितंबर, 1923- किशन महाराज, सुप्रसिद्ध तबला वादक।
प्रमुख दिवस-
3 सितंबर, राष्ट्रीय पोषाहार दिवस (सप्ताह)
यादें 2 सितंबर…. साधना कट जैसी लोकप्रियता नसीब से मिलती है!
यादें (2 सितंबर 1941) मेरा साया, वो कौन थी, वक्त जैसी अमर फिल्मों की लोकप्रिय अभिनेत्री साधना का जन्मदिन है 2 सितंबर, जिनका 74 वर्ष की उम्र में 2015 में निधन हो गया था.
उन्हें फिल्म जगत में बालों का एक नया और लोकप्रिय हेयर स्टाइल शुरु करने का श्रेय जाता है, जो साधना कट कहलाता है. साधना अपने माता-पिता की एकलौती संतान थी.
वर्ष 1960 में रिलीज हुई फिल्म लव इन शिमला के लिए साधना का नया हेयर स्टाइल आया जो साधना कट के नाम से मशहूर हो गया और एक कमी किस्मत बन गई? साधना का माथा बहुत चौड़ा था, जिसे छुपाने के लिए उनके बालों को ऐसा कट दिया गया था!
सच है…. साधना कट जैसी लोकप्रियता नसीब से मिलती है!
विश्व नारियल दिवस, इसलिए नारियल है श्रीफल!
इंसान के जन्म से लेकर अन्तिम समय तक श्रीफल- नारियल का विशेष महत्व रहा है। यह एकमात्र ऐसा फल है जो संपूर्ण वर्ष न केवल उपलब्ध रहता है बल्कि जरूरत पडऩे पर व्यक्ति की भूख-प्यास को मिटा सकता है, इसीलिए प्राचीन समय में यात्रा पर जानेवालों को श्रीफल भेंट किए जाते थे! पूजा में कलश पर रखा जानेवाला श्रीफल- नारियल शुभाशुभ संस्कारों में तो उपयोगी है ही, जीवन को बेहतर बनाने के लिए भी इसके अनेक उपयोग हैं। विश्व नारियल दिवस हर वर्ष दो सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन नारियल से बनी विभिन्न वस्तुओं की प्रदर्शनियां लगाई जाती है तो दक्षिण भारत में नारियल के पकवान भी बनाए जाते हैं। यह एक ऐसा फल है, जिसके हर भाग का हम तरह-तरह से उपयोग करते हैं। नारियल दिवस श्रीफल के महत्व को रेखांकित करता है। इस दिन का यह महत्व है कि नारियल का क्या उपयोग है इस पर अपनी जानकारी सांझा करें और इसके नए उपयोगों के बारे में सोचें।
नारियल की खेती ने हिन्दुस्तान में एक करोड़ से भी ज्यादा लोगों को रोजगार दे रखा है तो लाखों लोग इसके व्यापार से जुड़े हैं। हिन्दुस्तान में- केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में सर्वाधिक नारियल की खेती होती है। देश में ज्यादातर नारियल यहीं से मिलता है।
उल्लेखनीय है कि नारियल से बनी वस्तुओं के निर्यात से देश को करीब पांच सौ करोड़ रुपए की राष्ट्रीय आमदनी होती है! नारियल के रेशों से गद्दे, थैले आदि कई प्रकार की उपयोगी वस्तुएं बनाई जाती हैं।
फ्लैश बैक-
2 सितंबर, 1946- अंतरिम भारत सरकार का गठन, जवाहर लाल नेहरू बने- उपसभापति।
2 सितंबर, 1970- कन्याकुमारी में विवेकानन्द स्मारक का उद्घाटन हुआ।
2 सितंबर, 1998- डरबन में 12वें गुट निरपेक्ष आंदोलन शिखर सम्मेलन का अफ्रीकी राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला द्वारा उद्घाटन।
2 सितंबर, 1999- भारतीय तैराक बुला चौधरी इंग्लिश चैनल दो बार पार करने वाली पहली एशियाई महिला बनीं।
2 सितंबर, 2000- मैनहट्टन परियोजना में अग्रणी भूमिका निभाने वाले वैज्ञानिक जॉन सिम्पसन का निधन।
2 सितंबर, 2000- संयुक्त राष्ट्र अमेरिका द्वारा राष्ट्रीय प्रक्षेपास्त्र प्रणाली की तैनाती की योजना स्थगित।
2 सितंबर, 2001- सन् 1967 में विश्व में पहला हृदयरोपण करने वाले दक्षिण अफ्रीका के अग्रणी हृदय विशेषज्ञ बर्नार्ड का साइप्रस में निधन।
2 सितंबर, 2006- पश्चिमी ईराक में तीन भारतीयों और ग्यारह पाकिस्तानियों की अपहरण के बाद हत्या।
2 सितंबर, 2007- अल्बानिया विश्व का पहला रासायनिक हथियार युक्त राष्ट्र बना।
2 सितंबर, 2008- कानपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो.बीएन अस्थाना को उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग की ओर से सरस्वती सम्मान देने की घोषणा की गई।
2 सितंबर, 2009- आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस रेड्डी को ले जा रहा हेलीकाप्टर उड़ान भरने के बाद लापता हुआ।
जन्म दिन-
2 सितंबर, 1941- साधना, प्रसिद्ध भारतीय अभिनेत्री।
2 सितंबर, 1965- पार्थो सेनगुप्ता, भारतीय फिल्म निर्माता।
2 सितंबर, 1971- पवन कल्याण, हिन्दुस्तानी अभिनेता।
2 सितंबर, 1984- उदिता गोस्वामी, भारतीय अभिनेत्री।
2 सितंबर, 1988 – इशांत शर्मा, भारतीय क्रिकेटर।
2 सितंबर, 1989 – इश्मीत सिंह सोढ़ी, भारतीय पाश्र्वगायक।
पुण्य तिथि-
2 सितंबर, 1955- अमरनाथ झा, भारत के प्रसिद्ध साहित्यकार और शिक्षा शास्त्री।
2 सितंबर, 1976- विष्णु सखाराम खांडेकर, सुप्रसिद्ध मराठी साहित्यकार।
2 सितंबर, 2009- वाईएस राजशेखर रेड्डी, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री।
महत्वपूर्ण दिवस-
2 सितंबर, राष्ट्रीय पोषाहार दिवस (सप्ताह)
2 सितंबर, विश्व नारियल दिवस
यादें 1 सितंबर… हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए!
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए…
हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि दुष्यंत कुमार लोगों के ही नहीं कवियों की भी प्रेरणा रहे हैं। जब मंच पर बोलते हुए वक्ता को भावनाएं व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं मिलते तो कवि दुष्यंत की किसी कविता की महज एक पंक्ति ही सबकुछ कह डालती है। कवि दुष्यंत हमारे बीच आज भले ही जिन्दा न हों लेकिन उनका एक-एक शब्द, एक-एक लाईन कल भी जिन्दा थी, आज भी जिन्दा है और कल भी जिन्दा रहेगी! एक सितम्बर, 1933 को जन्में कवि दुष्यंत से सीखा जा सकता है कि एक आम आदमी के सीने में जो भावनाएं हैं जो आग हैं उन्हें आम आदमी की ही भाषा में कैसे कहा जा सकता है। मात्र 42 वर्ष की उम्र में जो लोकप्रियता दुष्यंत कुमार को मिली वो दुर्लभ है, वो किसी पुरस्कार से भी भारी है! दुष्यंत कुमार के शब्द सड़क से लेकर संसद तक गूँजते रहे हैं। दुष्यंत का पूरा नाम दुष्यंत कुमार त्यागी है और शुरूआत में वे दुष्यंत कुमार परदेशी के नाम से लिखा करते थे। इलाहाबाद में कमलेश्वर, मार्कण्डेय और दुष्यंत की दोस्ती मिसाल थी। कथाकार कमलेश्वर बाद में दुष्यंत के समधी भी हुए। उन्होंने- एक कंठ विषपायी, सूर्य का स्वागत, आवाज़ों के घेरे, जलते हुए वन का बसंत, छोटे-छोटे सवाल जैसी अनेक रचनाएं लिखीं। मात्र 42 वर्ष की उम्र में 30 दिसम्बर 1975 को दुष्यंत कुमार का निधन हो गया लेकिन वे कालजयी रचनाएं दे गए। दुष्यंत कुमार के सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया गया।
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।
हर सड़क, हर गली, हर नगर, हर गाँव में,
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए।
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए…
यादें 1 सितंबर…
फ्लैश बैक-
1 सितंबर, 1964- इंडियन ऑयल रिफाइनरी और इंडियन ऑयल कम्पनी को विलय करके इंडियन ऑयल कॉपरेशन बनाई गयी।
1 सितंबर, 1994- उत्तरी आयरलैंड में आयरिन रिपब्लिकन आर्मी ने युद्ध विराम लागू किया।
1 सितंबर, 1997- साहित्यकार महाश्वेता देवी तथा पर्यावदणविद् एम.सी. मेहता को 1997 का रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्रदान किया गया।
1 सितंबर, 1998- विक्टर चेनोर्मीर्दिन पुन: रूस के नये प्रधानमंत्री नियुक्त।
1 सितंबर, 2000- चीन ने तिब्बत होते हुए नेपाल जाने वाले अपने एकमात्र रास्ते को बंद किया।
1 सितंबर, 2003- लीबिया और फ्रांस के बीच यूटीए विमान पर 1989 में हुई बमबारी में मारे गये लोगों के निकट सम्बन्धियों को मुआवजा देने के बारे में समझौता हुआ।
1 सितंबर, 2004- पाकिस्तान के एक मानवाधिकार विशेषज्ञ मेहर खान विलियम्स को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने उप उच्चायुक्त नियुक्त किया।
1 सितंबर, 2005- सद्दाम हुसैन ने सशर्त रिहाई की अमेरिकी पेशकश ठुकराई।
1 सितंबर, 2006- एग्जिट पोल के जनक और टेलिफोन सर्वे में सैपलिंग मेथड विकसित करने में मददगार वाडेन मिटोफ़्स्की का न्यूयार्क में निधन।
1 सितंबर, 2007- फिजी के अपदस्थ प्रधानमंत्री लाइसेनिया करासे नौ महीने बाद राजधानी सुवा लौटे।
1 सितंबर, 2008- वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम ने डी. सुब्बाराव को भारतीय रिजर्व बैंक के 22वें गर्वनर के रूप में नियुक्ति की घोषणा की।
1 सितंबर, 2008- यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया ने अपना ‘लोगोÓ बदला।
1 सितंबर, 2009- वायस एडमिरल निर्मल कुमार वर्मा को भारतीय नौसेना के प्रमुख नियुक्त किया गया। उन्होंने एडमिरल सुरेश मेहता का स्थान लिया।
1 सितंबर, 2009- सर्वोच्च न्यायालय में जसवंत सिंह की किताब पर गुजरात में प्रतिबंध लगाए जाने के मामले में राज्य सरकार को नोटिस दिया।
1 सितंबर, 2009- लेफ्टिनेंट जनरल पी. सी. भारद्वाज सेना के उपप्रमुख बने।
फ्लैश बैक-
1 सितंबर, 1895- वैद्यनाथ भगवतार, हिन्दुस्तानी संगीतकार।
1 सितंबर, 1909- फादर कामिल बुल्के, प्रसिद्ध साहित्यकार।
1 सितंबर, 1947- पी. ए. संगमा, हिन्दुस्तान के प्रमुख राजनीतिज्ञ। 1 सितंबर, 1973- राम कपूर, बॉलीवुड अभिनेता
1 सितंबर, 1970- पद्मा लक्ष्मी- भारतीय अभिनेत्री
1 सितंबर, 1933- दुष्यंत कुमार, हिन्दी के लोकप्रिय कवि।
1 सितंबर, 1921- माधव मंत्री, हिन्दुस्तानी क्रिकेटर।
1 सितंबर, 1923- हबीब तनवीर, प्रसिद्ध नाट्य निर्देशक और अभिनेता।
1 सितंबर, 1926- विजयदान देथा, प्रसिद्ध राजस्थानी साहित्यकार।
1 सितंबर, 1927- राही मासूम रजा- जानेमाने साहित्यकार।
पुण्य तिथि-
1 सितंबर, 1574- गुरु अमरदास, सिक्खों के तीसरे गुरु, जो 73 वर्ष की उम्र में गुरु नियुक्त हुए थे।
प्रमुख दिवस-
1 सितंबर, गुटनिरपेक्ष दिवस
1 सितंबर, राष्ट्रीय पोषाहार दिवस एवं सप्ताह
यादें 31 अगस्त… अभिनय के राजकुमार का जन्म दिन!
राजकुमार, लोकप्रिय फिल्म अभिनेता हैं. वर्ष 2010 में फिल्म- लव सेक्स और धोखा से इन्होंने अभिनय की शुरुआत की थी, जिसके बाद 2013 में आई काय पो छे फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक कलाकार के लिए फिल्मफेर पुरस्कार मिला. उन्हे सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार फिल्म शाहिद के लिए मिला. शादी में जरूर आना फिल्म में राजकुमार, एक्ट्रेस कृति खरबंदा के साथ दिखाई दिए. 31 अगस्त 1984 उनका जन्मदिन है!
दर्द को कागज पर उतारना कोई अमृता प्रीतम से सीखे!
दर्द को कागज पर उतारना कोई अमृता प्रीतम से सीखें। उन्होंने विभाजन का दर्द भोगा, विवाहित जीवन का दर्द भोगा और यह दर्द उनकी रचनाओं से छलकता रहा। जीवन के दर्द तो कई लोग महसूस करते हैं लेकिन उनको सही शब्दों में ढालना ही किसी लेखक को महान बनाता है और यह खूबी अमृता प्रीतम में थी। पाकिस्तान के पंजाब में 31 अगस्त, 1919 को जन्मी अमृता प्रीतम को 20वीं सदी की पंजाबी भाषा की सर्वश्रेष्ठ कवयित्री माना जाता है और इनकी लोकप्रियता सीमा पार पाकिस्तान में भी उतनी ही है। उनहोंने करीब एक सौ पुस्तकें लिखी हैं जिनमें उनकी चर्चित आत्मकथा- रसीदी टिकट, सर्वकालीन श्रेष्ठ रचना है। उनकी कृतियों का अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ। अपने अंतिम दिनों में अमृता प्रीतम को भारत का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान पद्म विभूषण भी प्राप्त हुआ। अमृता प्रीतम के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों की सूची लंबी है जिनमें प्रमुख हैं- 1956 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1958 में पंजाब सरकार के भाषा विभाग द्वारा पुरस्कार, 1988 में बल्गारिया वैरोव अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार और 1982 में भारत का सर्वोच्च साहित्यिक- ज्ञानपीठ पुरस्कार। वे पहली महिला थीं जिन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला, यही नहीं वे पहली पंजाबी महिला थीं जिन्हें 1969 में पद्मश्री सम्मान प्राप्त हुआ।
जीवन का जहर पी कर साहित्य का अमृत देनेवाली अमृता प्रीतम नेे पंजाबी लेखन से शुरुआत की और कम उम्र में ही कविता, कहानी और निबंध लिखना शुरू किया। वे जब 11 साल की थी तभी इनकी माता का निधन हो गया, इसलिये घर की जिम्मेदारी भी इनके कंधों पर आ गयी। अमृता प्रीतम की प्रतिभा का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनका पहला संकलन 16 साल की आयु में प्रकाशित हुआ। सन् 1947 के विभाजन के दौर में उन्होंने विभाजन का दर्द सहा था, बहुत करीब से महसूस किया था, इसीलिए उनकी कई रचनाएं इस दर्द का अहसास कराती हैं। विभाजन के दौरान इनका परिवार दिल्ली में आ बसा तो उन्होंने पंजाबी के साथ-साथ हिन्दी में भी लिखना शुरू किया। मात्र सौलह साल की उम्र में उनका विवाह बचपन में ही माँ-बाप द्वारा कर दिया गया लेकिन 1960 में तलाक के साथ ही वैवाहिक जीवन भी खत्म हो गया। अपने पति से तलाक के बाद, इनकी रचनाओं में महिला पात्रों की पीड़ा और वैवाहिक जीवन के कटु अनुभवों का अहसास शब्दों में महसूस किया जा सकता है। विभाजन की पीड़ा को लेकर इनके उपन्यास पिंजर पर एक फिल्म भी बनी थी, जो काफी चर्चित रही।
यादें 31 अगस्त…
फ्लैश बैक-
31 अगस्त, 1995- पहली बार एमनेस्टी इंटरनेशनल ने चीन में मानवाधिकार पर आपत्ति दर्ज की।
31 अगस्त, 1996- ब्रिटेन की लेबर पार्टी ने सीटीबीटी के उस प्रावधान का विरोध किया, जिसमें निरस्त्रीकरण सम्मेलन के सदस्य देशों को संधि पर हस्ताक्षर करना आवश्यक है।
31 अगस्त, 1997- ब्रिटेन की राजकुमारी और राजकुमार चाल्र्स की पूर्व पत्नी डायना की पेरिस में कार दुर्घटना में मृत्यु।
31 अगस्त, 1998- राष्ट्रपति येल्तसिन द्वारा नियुक्त प्रधानमंत्री विक्टर चेनोर्मीर्दिन की नियुक्ति को रूसी संसद निम्न सदन ड्यूमा ने अस्वीकृत किया।
31 अगस्त, 1999- पूर्वी तिमोर की स्वतंत्रता के लिए शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न जनमत संग्रह पर संयुक्त राष्ट्र और पश्चिमी देशों ने संतोष जताया।
31 अगस्त, 2002- पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अपना नामांकन पत्र वापस लिया।
31 अगस्त, 2004- इतालवी जनरल गिदो पामेरी को भारत और पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षक समूह का एक साल के लिए प्रधान सैन्य पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया।
31 अगस्त, 2005- ईराक की राजधानी बगदाद में धार्मिक अवसर पर फिदायीन हमले के भय से मची भगदड़ में 816 लोग मारे गये।
31 अगस्त, 2008- सरकार ने अमरनाथ भूमि विवाद सुलझाया।
31 अगस्त, 2009- जनता दल (यूनाइटेड) की राष्ट्रीय परिषद के नई दिल्ली में आयोजित सम्मेलन में शरद यादव को पुन: सर्वसम्मति से पार्टी का अध्यक्ष चुन लिया गया। वे इस पद पर 2006 से नियुक्त थे।
31 अगस्त, 2009- हिन्दुस्तान के सामाजिक कार्यकर्ता दीप जोशी सहित एशिया की छ: व्यक्तियों को वर्ष 2009 के- मैग्सेसे पुरस्कार से मनीला में सम्मानित किया गया।
जन्म दिन-
31 अगस्त,1919- अमृता प्रीतम, सुप्रसिद्ध लेखिका।
31 अगस्त,1962- पल्लम राजू, प्रसिद्ध राजनेता।
31 अगस्त,1963- ऋतुपर्णो घोष, बंगाली फिल्मों के सुप्रसिद्ध निर्देशक-अभिनेता।
31 अगस्त,1940- शिवाजी सावंत, प्रसिद्ध मराठी साहित्यकार।
यादें 30 अगस्त… ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना!
शुक्रवार (30 अगस्त 2019). बहुत कम लोग जानते हैं कि होठों पर सच्चाई रहती है, दिल में सफाई रहती है, मेरा जूता है जापानी, आज फिर जीने की तमन्ना है जैसे मानवीय भावनाओं की बेमिसाल अभिव्यक्ति देनेवाले सुप्रसिद्ध गीतकार शंकरदास केसरीलाल ‘शैलेन्द्रÓ आजादी के अगस्त आंदोलन के दौरान जेल भी गए थे। उनका जन्म 30 अगस्त, 1923 को रावलपिंडी, पाकिस्तान में हुआ था। वे शुरू से ही राष्ट्रीय भावना में रंगे थे। सन् 1942 में बंबई रेलवे में इंजीनियरिंग सीखने गये और इसके बाद वे मुंबई के ही होकर रह गए। अगस्त के महीने में ही फिर बदलाव आया जब सन् 1947 में राज कपूर ने उन्हें कवि सम्मेलन कविता पढ़ते सुना। राज कपूर ने उन्हें- आग फिल्म में गीत लिखने के लिए कहा लेकिन शैलेन्द्र ने उस समय मना कर दिया। सन् 1948 में शादी के बाद कम आमदनी से घर चलाना मुश्किल हो गया तब वे राज कपूर के पास गये। उन दिनों राजकपूर बरसात फिल्म की तैयारी में लगे थे। तय वक्त पर गीतकार शैलेन्द्र राजकपूर से मिलने जब घर से निकले तो घनघोर बरसात होने लगी… और वही से- बरसात में तुम से मिले हम सनम, गीत का जन्म हुआ। अपने दस गीत सौंपने के साथ ही शैलेन्द्र ने इस नए गीत को राजकपूर को सुनाया तो राजकपूर ने शैलेन्द्र को सीने से लगा लिया। नया गीत बरसात का टाइटल सांग बना। शैलेन्द्र के गीतों ने धूम मचा दी फिर क्या था, उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
शैलेन्द्र को तीन बार सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था, सन्1958 में- ये मेरा दीवानापन है… यहूदी के लिए, सन्1959 में- सब कुछ सीखा हमने… अनाडी के लिए और सन् 1968 में- मैं गाऊं तुम सो जाओ… ब्रह्मचारी के लिए।
शैलेंद्र ने राजकपूर अभिनीत- तीसरी कसम फिल्म का निर्माण किया और खुद की सारी दौलत और मित्रों से उधार ली भारी रकम निर्माण पर झोंक दी लेकिन फिल्म डूब गई। कर्जदार शैलेन्द्र बीमार हो गए, अस्पताल में भर्ती हुए। उन्हीं हालातों में शैलेन्द्र ने लिखा था अमर गीत- जाने कहां गए वो दिन, कहते थे तेरी याद में, नजरों को हम बिछायेंगे… शैलेन्द्र, 14 दिसंबर 1966 को राजकपूर के जन्म दिन पर उनसे मिलना चाहते थे और इसलिए बीमारी में भी आरके स्टूडियो की ओर चल पड़े लेकिन…रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया। शैलेन्द्र को क्या पता था कि उनकी मौत के बाद उनकी फिल्म को सम्मान और पुरस्कार मिलेगा…
यादें 30 अगस्त…
फ्लैश बैक-
30 अगस्त, 1947- भारतीय संविधान का प्रारूप तैयार करने के लिए डॉ भीमराव आम्बेडकर के नेतृत्व में समिति का गठन किया गया।
30 अगस्त, 1999- पूर्वीं तिमोर की स्वतंत्रता के लिए जनमत संग्रह सम्पन्न।
30 अगस्त, 2002- ताइवान में भूकंप के झटके महसूस किये गए।
30 अगस्त, 2003- रूसी पनडुब्बी बेरेंट्स सागर में डूबी, नौ मरे।
30 अगस्त, 2003- आस्ट्रेलिया ने विश्व नौकायन में स्वर्ण पदक जीता।
30 अगस्त, 2003- समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव तीसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
30 अगस्त, 2007- नेपाल की कोईराला सरकार ने चार माओवादी विद्रोहियों को फ्रांस, डेनमार्क, ऑस्ट्रेलिया और मलेशिया का राजदूत नियुक्त किया।
30 अगस्त, 2007- बांग्लादेश सरकार ने नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद युनुस के सम्मान में डाक टिकट जारी किया।
जन्म दिन-
30 अगस्त, 1923- शैलेन्द्र, सुप्रसिद्ध गीतकार
30 अगस्त, 1903- भगवतीचरण वर्मा, प्रमुख साहित्यकार।
30 अगस्त, 1895- सरदार हुकम सिंह, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष।
30 अगस्त, 1888- कनाईलाल दत्त, भारत की आजादी के लिए फांसी के फंदे पर झूलने वाला अमर शहीद।
पुण्य तिथि-
30 अगस्त, 2008- कृष्ण कुमार बिड़ला, सुप्रसिद्ध उद्योगपति।
30 अगस्त, 2014- बिपिन चन्द्र, सुप्रसिद्ध इतिहासकार
महत्वपूर्ण दिवस-
30 अगस्त, लघु उद्योग दिवस
यादें 29 अगस्त…. और वे सुपरस्टार बन गए!
गुरुवार (29 अगस्त 2019) साउथ के सुपरस्टार नागार्जुन का जन्मदिन है. वे एक्टर होने के साथ-साथ डांसर, प्रोड्यूसर, टीवी प्रेजेंटर, बिजनेसमैन भी हैं. फिल्मी शतक के करीब पहुंच गए नागार्जुन ने बॉलीवुड की भी कुछ सुपरहिट फिल्में की हैं.
नागार्जुन का जन्म 29 अगस्त 1959 को मद्रास (अब चेन्नई, तमिलनाडु) में हुआ. उनके पिता नागेश्वर राव अक्किनेनी भी एक जानेमाने एक्टर, बिजनेसमैन थे. बाद में नागार्जुन की फैमिली हैदराबाद आ गई है, जहां उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की.
उनके फिल्मी करियर की शुरुआत वर्ष 1968 में आई फिल्म में बतौर चाईल्ड आर्टिस्ट हुई, जिसमें उनके पिता लीड रोल में थे. वर्ष 1986 में उन्होंने तेलुगू फिल्म विक्रम में लीड एक्टर की भूमिका निभाई, जो 1983 में आई हिंदी फिल्म हीरो की रीमेक थी. दर्शकों ने नागार्जुन की एक्टिंग को सराहा, फिल्म कामयाब रही और वे स्टार बन गए.
वर्ष 1988 में श्रीदेवी और सुहासिनी के साथ आई फिल्म ने उन्हें सुपर स्टार बना दिया. वर्ष 1989 में मणिरत्नम के निर्देशन में बनी रोमांटिक फिल्म गीताजंलि को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला. इसी साल उनकी रामगोपाल वर्मा की फिल्म शिवा आई जो सुपरहिट रही. वर्ष 1990 में उन्होंने इसी फिल्म के हिंदी सीक्वल से डेब्घ्यू किया और यह फिल्म भी कामयाब रही. हुई. इसके बाद उन्होंने लगातार कई सुपरहिट फिल्में दी.
यादें 29 अगस्त…
फ्लैश बैक-
29 अगस्त, 1987- कर्नल राबुका ने फिजी को गणराज्य घोषित किया।
29 अगस्त, 1999- बांग्लादेश मुक्ति संघर्ष के दौरान टाइगर सिद्दीकी के नाम से मशहूर सांसद कादिर सिद्दीकी ने संसद की सदस्यता से त्यागपत्र दिया।
29 अगस्त, 2000- न्यूयार्क में चार दिवसीय विश्व शांति शिखर सम्मेलन प्रारंभ।
29 अगस्त, 2001- पश्चिम एशिया में पुन: हिंसा भड़की, तीन फिलिस्तीनी मरे।
29 अगस्त, 2001- जापान के ‘एच-2 एÓ रॉकेट का सफल प्रक्षेपण।
29 अगस्त, 2002- पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का नामांकन पत्र स्वीकार किया।
29 अगस्त, 2003- कोलंबिया अंतरिक्ष यान हादसे के लिए नासा की त्रुटिपूर्ण कार्यप्रणाली को जिम्मेदार माना गया।
29 अगस्त, 2003- इराक के शहर नजफ में हुए एक आत्मघाती हमले में शिया नेता सहित करीब पिचत्तर लोग मारे गये।
29 अगस्त, 2004- एथेंस ओलम्पिक का समापन।
29 अगस्त, 2008- तृणमूल कांग्रस के कार्यकर्ताओं के विरोध के चलते टाटा मोटर्स ने सिंगुर में नैनों परियोजना स्थल से अपने कर्मचारी हटाए।
29 अगस्त, 2008- झारखण्ड के नवनियुक्त मुख्यमंत्री शिबु सोरेन ने विधानसभा में अपना बहुमत साबित किया।
जन्म दिन-
29 अगस्त, 1949- के. राधाकृष्णन, भारत के शीर्ष वैज्ञानिक।
29 अगस्त, 1980- माधव श्रीहरि अणे, प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी।
29 अगस्त, 1905- मेजर ध्यानचंद, हिन्दुस्तान के सुविख्यात हॉकी खिलाड़ी।
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यादें 28 अगस्त… नये तराने छेडो़, मेरे नगमों को नींद आती है!
28 अगस्त…. प्रिया दत्त, दीपक तिजोरी, उस्ताद विलायत खान आदि का जन्मदिन है.
कुछ नया करने की तमन्ना है और प्रेरणा चाहिए तो रघुपति सहाय से बेहतर कौन होगा? जो खूद कहते हैं- नये तराने छेडो़, मेरे नगमों को नींद आती है। वैसे उन्हें इस नाम से नहीं, फिराक गोरखपुरी के नाम से लोग जानते हैं। भारत के प्रसिद्धि उर्दू शायर फिराक गोरखपुरी स्वतंत्रता संग्राम में भी सक्रिय रहे, इसकी जानकारी भी लोगों को नहीं है। उनका जन्म- 28 अगस्त, 1896 को उत्तर प्रदेश में हुआ। फिराक उनका तख़ल्लुस था और गोरखपुर उनका जन्मस्थान! उन्होंने भाषा के नए प्रयोग करते हुए उर्दू को बोलियों से जोड़ कर उसमें नया असर पैदा किया। फिराक गोरखपुरी ने अपने साहित्यिक जीवन का सफर गजल से शुरू किया था। फारसी, हिन्दी, ब्रजभाषा और भारतीय संस्कृति की गहरी समझ होने के कारण उनकी शायरी में भारत की आत्मा रच-बस गई है। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, सर्वोच्च ज्ञानपीठ पुरस्कार और सोवियत लैण्ड नेहरू अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था। वर्ष 1970 में उन्हें साहित्य अकादमी का सदस्य भी मनोनीत किया गया था। देश की आजादी के लिए महात्मा गाँधी ने- असहयोग आन्दोलन, छेड़ा तो फिराक गोरखपुरी ने अपनी नौकरी छोड़ दी और आन्दोलन में कूद पड़े। उन्हें गिरफ्तार किया गया और डेढ़ साल की सजा भी हुई। जेल से छूटने के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अखिल भारतीय कांग्रेस के कार्यालय में- अण्डर सेक्रेटरी की जगह पर उन्हें काम दे दिया। नेहरू के यूरोप चले जाने के बाद उन्होंने यह पद छोड़ दिया। इसके बाद इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में सन्1930 से 1959 तक वे अंग्रेजी के शिक्षक रहे।
अपने साहित्यिक जीवन की शुरूआत में ही 6 दिसंबर, 1926 को ब्रिटिश सरकार के राजनीतिक बंदी बनाए गए थे। कुछ नया करने की भावना के चलते उन्होंने अपने साहित्य को परंपरागत भावबोध और शब्द-भंडार का उपयोग करते हुए नयी बोलियों, नए अंदाज और नए विषयों से जोड़ा। प्रतिदिन के कड़वे सच और आने वाले कल के प्रति विश्वास, दोनों को भारतीय संस्कृति और लोकभाषा के प्रतीकों से जोड़कर उन्होंने अपनी शायरी को नया अंदाज दिया।
उन्होंने असंख्य रचनाएँ की थीं। वे बड़े निर्भीक शायर थे और उनकी शायरी उच्चकोटि की मानी जाती हैं। उनके कविता संग्रह- गुलेनग्मा पर 1960 में उन्हें साहित्य अकादमी का पुरस्कार मिला और इसी रचना पर वे 1969 में भारत के सर्वोच्च प्रतिष्ठित सम्मान- ज्ञानपीठ पुरस्कार, से सम्मानित किये गये थे। उन्होंने उपन्यास ‘साधु और कुटियाÓ के अलावा अनेक कहानियाँ भी लिखी थीं।
उनका विवाह 29 जून, 1914 को प्रसिद्ध जमींदार विन्देश्वरी प्रसाद की बेटी किशोरी देवी से हुआ। युवावस्था में हुआ विवाह उनको रास नहीं आया और एक छत के नीचे रहते हुए भी उनकी व्यक्तिगत जिंदगी एकाकी ही बीती। अपने आसपास के घटनाक्रम को उन्होंने न केवल दिल से महसूस किया और समझा बल्कि उस अहसास को शब्द देने का बेहतर काम भी उन्होंने किया…
सुनते हैं इश्क नाम के गुजरे हैं इक बुजुर्ग
हम लोग भी मुरीद इसी सिलसिले के हैं!
फ्लैश बैक-
28 अगस्त, 1904- कलकत्ता से बैरकपुर तक पहली कार रैली का आयोजन।
28 अगस्त, 1972- साधारण बीमा कारोबार राष्ट्रीयकरण बिल पारित किया गया।
28 अगस्त, 1990- ईराक ने कुवैत को अपना 19वाँ प्रान्त घोषित किया।
28 अगस्त, 1999- मेजर समीर कोतवाल आसाम में उग्रवादियों के एक गुट के साथ लडाई में शहीद हो गये।
28 अगस्त, 2000- ताइवान के राष्ट्रपति चुने शुई बियान द्वारा चीन के साथ एकीकरण के विकल्प को स्वीकार करने का संकेत।
28 अगस्त, 2000- संयुक्त राष्ट्र में सहस्त्राब्दि विश्व धार्मिक शिखर सम्मेलन शुरू।
28 अगस्त, 2001- भारत-पाक सीमा पर गोलीबारी, पाकिस्तान के 8 सैनिक मरे।
28 अगस्त, 2006- दुनिया की सबसे बड़ी महिला मारिया एस्टर डी. कापोविला का इक्वेडोर में निधन।
28 अगस्त, 2008- भारतीय रिजर्व बैंक ने 1999 और 2000 के सभी नोटो को प्रचलन से हटाने का निर्णय किया।
28 अगस्त, 2008- प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बिहार में आई बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया।
28 अगस्त, 2008- अन्तराज़्ष्ट्रीय स्तर पर मैगजीन फोब्र्स ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मायावती को दुनिया की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं में शामिल किया।
जन्म दिन-
28 अगस्त, 1896- फिराक गोरखपुरी, सुप्रसिद्ध उर्दू शायर।
28 अगस्त, 1928- विलायत खान- हिन्दुसतान के प्रसिद्ध सितार वादक।
28 अगस्त, 1928- एमजीके मेनन, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के भूतपूर्व अध्यक्ष।
28 अगस्त,1929- राजेंद्र यादव, जानेमाने आधुनिक साहित्यकार।
28 अगस्त, 1913- आबिदा सुल्तान, भोपाल रियासत की राजकुमारी एवं हिन्दुसतान की पहली महिला पायलट।
28 अगस्त, 1932- सरस्वती प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत की मानस पुत्री और चर्चित लेखिका।
महत्वपूर्ण दिवस-
28 अगस्त, राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा
यादें 27 अगस्त… फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी!
मंगलवार (27 अगस्त 2019). मुकेश जैसे गायक सदियों में पैदा होते हैं जिनकी आवाज गीत के भावों को दिल के अंदर तक उतार देती है। उनके गाए ज्यादातर गीत वैसे तो प्रेम की भावनाओं को उजागर करते हैं लेकिन राष्ट्रभक्ति की लय में गाए- फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी… जैसे गीत आज भी लोगों के दिलों में जिन्दा हैं!
यही नहीं, एक दिन बिक जाएगा माटी के मोल, किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, मैं पल दो पल का शायर हूँ… जैसे गीत जीवन की सच्चाइयों से रूबरू करवाते हैं। 27 अगस्त, 1976 को यह दिल को छूने वाली आवाज हमेशा-हमेशा के लिए खामोश हो गई, लेकिन उनके गीतों में मुकेश आज भी जिन्दा हैं। जरूरत इस बात की है कि उनके गाए प्रेरणास्पद गीतों को संरक्षित किया जाए और उसे राष्ट्र की संपत्ति घोषित किया जाए। मुकेश का जन्म 22 जुलाई 1923 को लुधियाना के जोरावर चंद माथुर और चांद रानी के घर हुआ था। इनकी बड़ी बहन संगीत की शिक्षा लेती थीं और मुकेश बड़े चाव से उन्हें सुना करते थे। मोतीलाल के घर मुकेश ने संगीत की पारम्परिक शिक्षा लेनी शुरू की।
मुम्बई आने के बाद इन्हें 1941 में निर्दोष फिल्म में बतौर एक्टर सिंगर पहला ब्रेक मिला। इंडस्ट्री में शुरुआती दौर मुश्किलों भरा था। लेकिन के एल सहगल को इनकी आवाज बहुत पसंद आयी। पचास के दशक में इन्हें एक नयी पहचान मिली, जब इन्हें राजकपूर की आवाज कहा जाने लगा। अनेक साक्षात्कार में खुद राज कपूर ने अपने मित्र मुकेश के बारे में कहा है कि- मैं तो बस शरीर हूँ मेरी आत्मा तो मुकेश है!
मुकेश ने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बना लेने के बाद, कुछ नया करने की सोची और इसलिए वे फिल्म निर्माता बन गये। साल 1951 में मल्हार और 1956 में अनुराग बनाई भी लेकिन कामयाबी नहीं मिली। पचास के दशक के आखिरी सालों में मुकेश फिर पाश्र्वगायन के शिखर पर पहुँच गये। यहूदी, मधुमती, अनाड़ी जैसी फिल्मों ने उनके अंदाज को एक नयी पहचान दी और फिर- जिस देश में गंगा बहती है, के गाने के लिए वे फिल्मफेयर के लिए नामांकित हुए। साठ के दशक की शुरुआत मुकेश ने कल्याण-आनंद के डम-डम डीगा-डीगा, नौशाद का मेरा प्यार भी तू है और एस डी बर्मन के नगमों से की और फिर राज कपूर की फिल्म संगम में शंकर जयकिशन द्वारा संगीतबद्ध किए गानों ने धूम मचा दी।
सत्तर के दशक का आगाज मुकेश ने- जीना यहाँ मरना यहाँ गाने से किया। उस वक्त के हर बड़े फिल्मी सितारों की ये आवाज बन गये थे। साल 1970 में मुकेश को मनोज कुमार की फिल्म पहचान के गीत के लिए दूसरा फिल्मफेयर मिला और फिर 1972 में मनोज कुमार की ही फिल्म के गाने के लिए उन्हें तीसरी बार फिल्मफेयर पुरस्कार दिया गया। साल 1974 में फिल्म रजनीगंधा के गाने के लिए मुकेश को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिया गया। सत्तर के दशक में भी इन्होंने अनेक सुपरहिट गाने दिये जैसे…. एक दिन बिक जाएगा, मैंने तेरे लिए ही सात रंग के सपने चुने, कभी कभी मेरे दिल में खयाल आता है और संगीत प्रेमियों की धड़कन बन गए। किसी भावना को दिल से कैसे व्यक्त किया जाता है, यह कोईं मुकेश से सीखे!
*यादें 27 अगस्त…
फ्लैश बैक-
27 अगस्त, 1604- अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में आदि गुरु ग्रंथ साहिब की प्रतिस्थापना की गई।
27 अगस्त, 1870- भारत के पहले मजदूर संगठन के तौर पर श्रमजीवी संघ की स्थापना की गई।
27 अगस्त, 1976- भारतीय सशस्त्र सेना की प्रथम महिला जनरल मेजर जनरल जी अली राम मिलिट्री नर्सिंग सेवा की निदेशक नियुक्त हुई।
27 अगस्त, 1979- आयरलैंड के समीप एक नौका विस्फोट में लॉर्ड माउंटबेटन का निधन।
27 अगस्त, 1985- नाइजीरिया में सैनिक क्रान्ति में मेजर जनरल मुहम्मद बुहारी की सरकार का तख्ता पलटा गया और जनरल इब्राहिम बाबनगिदा नये सैनिक शासक बने।
27 अगस्त, 1999- सोनाली बनर्जी भारत की प्रथम महिला मैरिन इंजनियर बनीं।
27 अगस्त, 1999- भारत ने कारगिल संघर्ष के दौरान अपने यहाँ बंदी बनाये गये पाकिस्तानी युद्धबंदियों को रिहा किया।
27 अगस्त, 2004- शौकत अजीज पाकिस्तान के नये प्रधानमंत्री चुने गये।
27 अगस्त, 2008- सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एके माथुर को सशस्त्र बल ट्रिब्यूनल का पहला अध्यक्ष बनाया गया।
27 अगस्त, 2008- झारखण्ड मुक्तिमोर्चे के प्रमुख शिबु सोरेन ने झारखण्ड के छठे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की।
27 अगस्त, 2009- बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष सुश्री मायावती को अध्यक्ष पद पर तीसरी बार चुन लिया गया।
निधन-
27 अगस्त, 1976- मुकेश, सुप्रसिद्ध पाश्र्वगायक
27 अगस्त, 2006- ऋषिकेश मुखर्जी, भारतीय फिल्मों के सुप्रसिद्ध निर्माता व निर्देशक
महत्वपूर्ण दिवस-
27 अगस्त, राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा
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