सेहत. वर्तमान समय में लोगो को हो रही विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के कारणों पर ध्यान दें तो सबसे महत्वपूर्ण कारण उभर कर सामने आ रहा है, वह बेमेल भोजन है, जिसके चलते अचानक ही किसी भी तरह की स्वास्थ्य परेशानी कभी भी अपना प्रभाव दिखाने लगती हैं। गुुजरात विश्वविद्यालय से एमएससी जैनेटिक्स में गोल्ड मेडल हासिल कर चुकी तथा विभिन्न विषयों पर उपयोगी अनुसंधानकर्ता सुश्री प्राची द्विवेदी से इस बारे में बात करने पर उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य को लेकर सजग और नियमित जीवन यापन कर रहे लोगो को अचानक ही कोई स्वास्थ्य समस्या परेशान करती है और अधिकतर लोगो को त्वचा के इन्फेक्शन या एलर्जी से सम्बद्ध समस्याओ का सामना करना पडता है। यह परेशानी बेमेल खाने के कारण हो सकती है। बेमेल भोजन से तात्पर्य एक साथ दो से अधिक तरह के ऐसे भोजन को ग्रहण करना है, जिनके गुण व तत्व आपस में मेल नहीं खाते हैं। इसे आजकल होने वाले प्रीतिभोज व ऐसे सामूहिक व सार्वजनिक भोजन के आयोजनो से समझा जा सकता है, जहां कई तरह की मिठाइयां, दही के उत्पाद, विभिन्न तरह के सलाद, कई तरह की सब्जियां, मौसमी फलों आदि का ज्यूस व फलों की कतरने, आईसक्रीम, ठण्डाई, कोल्ड ड्रिंक, पानी-पताशे, पापकार्न, साउथ इण्डियन डिशेज, नोर्थ इण्डियन वेरायटी, चाईनिज खाद्य आदि के साथ पान व अन्य कई सामग्री उपलब्ध रहती हैं।
भोज में मेजबान सभी को अपनी सद्भावना से कई तरह की सेवायें व खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाना चाहता है, परन्तु इनमे से कई सामग्री ऐसी होती हैं जिन्हे एक साथ उपयोग करना शरीर के लिये उपयुक्त नही माना जा सकता है। मेजबान की भावनाओ की कद्र करते हुए भोज में पहंुचने वाले आगन्तुक भी परिसर में उपलब्ध हर तरह की सामग्री का उपयोग यानि टेस्ट करनेे की इच्छा रखते हैं। स्वास्थ्य को लेकर बरती जाने वाली यह लापरवाही ही कई स्वास्थ्य समस्याओं का मुख्य कारण बनती जा रही है। चिकित्सकों द्वारा भी इस तरह के बेमेल भोेजन यानि ‘मिसमैच’ भोजन के उपयोग को लेकर कहा जाता है, परन्तु अज्ञानतावश या सभी खाद्य पदार्थो के टेस्ट केे मोह के चलते बेमेल भोजन शरीर में जाता है और इसका सर्वाधिक असर त्वचा से जुड़ी समस्याओं पर होता है और उसके बाद शरीर के विभिन्न अंगो व कार्यप्रणालियों पर भी नुकसानदायक असर से इंकार नहीं किया जा सकता है। नियमित दिनचर्या के बावजूद शरीर के किसी भी हिस्से में उत्पन्न कोई स्वास्थ्य समस्या या त्वचा पर दुष्प्रभाव या ऐलर्जी का असर दिखना इस बात का संकेत है कि भोजन में ध्यान देने की आवश्यकता है। कई बार जानकारी के अभाव में नियमित घरेलु भोजन में भी मिसमैच खाने की समस्या हो जाती है। बेमेल, मिसमैच या असंगत भोजन का सीधा तात्पर्य ऐसे खाध्य पदार्थो का एक साथ सेवन करना जो उनके गुणों के कारण सही नही हैं।
बेमेल या असंगत भोजन की बात करें तो आयुर्वेद व अन्य स्त्रोतों से प्राप्त जानकारी के अनुसार नीम्बू के साथ दूध का सेवन, दूध के साथ, दही, केले, चेरी, खट्टे फल, खरबूज, योगर्ट, ब्रेड बटर, तले हुए उत्पाद आदि का सेवन, घी के साथ या गर्म किये शहद का सेवन, दाल/चावल के साथ फलों का सेवन, गर्म पेय के साथ आम, चीज आदि का सेवन, अण्डों के साथ राजमा या दूध आदि का सेवन, खरबूजों के साथ तले उत्पाद, आलू, टमाटर या डेयरी उत्पाद आदि का सेवन, मखाणों के साथ केले या आम आदि का सेवन, पूरे भोजन के बाद फलों का सेवन, मांस एवं आलू का एक साथ सेवन आदि कई ऐसे अंसगत खाद्य भोजन के उदाहरण हैं जो वर्तमान दिनचर्या में स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे रहे हैं। बेमेल भोजन के कई उदाहरण विभिन्न माध्यमों से उपलब्ध हैं।
मिसमैच भोजन के अलावा सामूहिक भोजन के दौरान उपयोग में लाई जाने वाली खाद्य सामग्री की गुणवत्ता भी महत्वपूर्ण होती है। यदि उपयोग में लाई गई खाद्य सामग्री मेजबान की निगरानी में है तो सभी का हित संरक्षण है अन्यथा आजकल ठेके पर भोजन व्यवस्था देने पर कई बाद खाद्य सामग्री से जुड़ी समस्याये सामने आती हैं। फल व सब्जियों को बेहतर ढंग से साफ नहीं करना, पुराने प्रयुक्त तेल व घी का उपयोग, भोजन बनाने में सफाई पर ध्यान नहीं देना, भोजन बनाने व वितरण करने वालो की लापरवाही या उनका किसी संक्रामक स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित होना, काफी समय पूर्व तैयार किया सलाद या खाद्य सामग्री का खुले पड़े रहना आदि कई मामलांे में ध्यान नहीं देना बड़ी परेशानी का कारण बन सकता है। सामूहिक और बृहद आयोजन होेने से स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव तुरन्त नजर नहीं आते हैं, परन्तु धीरे-धीरे स्वास्थ्य समस्या बढ़ सकती हैं, अतः अपने स्वास्थ्य संरक्षण के लिये सामूहिक भोज के मामले में सजग रहने के साथ बेमेल भोजन पर ध्यान देना महत्वपूर्ण व आवश्यक है।