श्रीमती अनिता. जाने-अनजाने महिलाओं द्वारा हो गए अपराधों के लिए कानून में सजा का तो प्रावधान है लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि ऐसे कानून महिलाओं को समझाएगा कौन? इस वक्त पुरुषों को ही कानून की खास जानकारी नहीं है तो महिलाओं, खासकर युवतियों को कानून की जानकारी कहां से होगी? पहले युवतियां घर की चारदीवारी में रहती थी इसलिए उनको कानून-कायदों की जानकारी की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती थी लेकिन अब वे बाहर के कई तरह के कार्य करती हैं… उन्हें प्रत्यक्ष अपराध चोरी, हत्या, झगड़ा, आदि की सामान्य जानकारी तो हो सकती है लेकिन ठगी जैसे अप्रत्यक्ष अपराध की कानूनी जानकारी कत्तई नहीं होती है जिसके नतीजे में कई बार अनजाने में ऐसे अपराधों में उलझ जाती हैं जिनसे उनका पूरा कॅरियर ही दाव पर लग जाता है!
कुछ समय पहले ऐसे मामले सामने आए थे जब परिचितों के कहने पर महिलाओं ने चैकों पर हस्ताक्षर कर दिए… जब चैक बाउंस हुए और अपराधिक मामले बने तो महिलाओं के होंश उड़ गए… ऐसे मामलों में महिलाओं को उलझानेवाले परिचित तो जिम्मेदार हैं ही, काफी हद तक प्रारंभिक कानूनी शिक्षा को लेकर बरती जा रही लापरवाही भी जिम्मेदार है!
ऐसे मामलों के लिए कानूनन अपराधी भले ही उस महिला को माना जाए लेकिन नैतिक अपराधी शैक्षिक व्यवस्थाएं हैं जो जरूरी प्रारंभिक कानूनी शिक्षा उपलब्ध नहीं करवाती हैं!
स्टूडेंट्स के लिए कानूनी शिक्षा दसवीं कक्षा से अनिवार्य विषय होना चाहिए ताकि महिलाओं के क्या अधिकार हैं? क्या कानून हैं? क्या अपराध हैं? इनमें क्या सजा है? एफआईआर, समन, बेलेबल-नोनबेलेबल अपराध, पुलिस जांच, गिरफ्तारी, जमानत आदि क्या हैं? इसकी जानकारी उन्हें सही तरीके से प्राप्त हो और वे ऐसे अपराधों के शिकार होने से बच सकें! इसके अलावा महिलाओं के साथ हुए और महिलाओं द्वारा किए गए अपराधों और कानूनी सजा के बारे में सच्ची कहानियों पर आधारित प्रेक्टिकल स्टडी भी होनी चाहिए!
बैंक द्वारा चैक बुक जारी करते वक्त, ड्राइविंग लाइसेंस देते वक्त, किसी कंपनी का डायरेक्टर बनते वक्त, किसी के साथ एग्रीमेंट करते वक्त क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिएं और क्या-क्या कानूनी जिम्मेदारियां हैं इनकी जानकारी देने और समझाने के बाद ही उनकी सहमति मानी जानी चाहिए… इसके लिए संबंधित विभाग को आॅन रिकार्ड इससे संबंधित कार्रवाई करनी चाहिए!
आजकल बहुत कम उम्र में लड़कियां बाहरी दुनिया के कामकाज शुरू कर देती हैं लेकिन उन्हें कानून-कायदों की कुछ खास जानकारी नहीं होती है… ऐसी स्थिति में वे कानूनी जानकारी रखनेवाले अपराधियों के षड़यन्त्रों का शिकार नहीं बने इसके लिए जरूरी है कि ससमय उन्हें आवश्यक कानूनी जानकारी दी जाए.
किसी युवती के लिए यह बेहद अपमानजनक है कि उससे पुलिस ऐसे अपराध के बारे में पूछताछ करे जिसकी उसे जानकारी ही नहीं है! पुलिस द्वारा गिरफ्तारी का डर तो उसके जीवन की दशा और दिशा ही बदल के रख देता है!
इसलिए ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि पुलिस पूछताछ से पहले कोई युवती समय लेकर सीधे जज के पास जा कर अपनी बात साफ-साफ बता सके… ऐसा होता है तो देश का सुनहरा भविष्य लिखनेवाली कई युवतियों की जिंदगी बर्बाद होने से बच जाएगी… उन्हें नई दिशा मिलेगी.. नई जिंदगी मिलेगी!