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आगे बढ़ने के लिए मेरे पास एकमात्र यही तरीका है… सारा अली खान

सैफ अली खान और अमृता सिंह की बेटी सारा अली खान ने एक्टिंग कैरियर की शुरूआत ’काई पो चे’ और ’रॉक ऑन’ जैसी फिल्मों के जरिए पहचान बनाने वाले निर्देशक, अभिषेक कपूर द्वारा निर्देशित ’केदारनाथ’ (2018) से की थी। इसमें सारा के अपोजिट सुशांत सिंह राजपूत थे जिनके साथ सारा ने कुछ बोल्ड किसिंग सीन्स दिए थे।

’केदारनाथ’ (2018) बॉक्स ऑफिस पर ज्यादा अच्छी नहीं रही लेकिन सारा ने अपने काम से ऑडियंस के दिलोे दिमाग पर अमिट छाप छोड़ी। ’केदारनाथ’(2018) के लिए उन्हें फिल्मफेयर का बेस्ट डेब्यू अवार्ड मिला।

’केदारनाथ’ (2018) के बाद से ही सारा अली खान के पास फिल्मों के बंपर ऑफर आने शुरू हो गए थे। ’सिंबा’ (2018) की कामयाबी के बाद तो अचानक इनमें इतनी ज्यादा बढ़ोत्तरी हो गई कि देखकर हर कोई हैरान रह गया।

रोहित शेट््टी के निर्देशन में बनी ’सिंबा’ (2018) में सारा अली खान, रणवीर सिंह के अपोजिट थी। इसमें इस जोड़ी पर फिल्माया गया गीत, ‘लड़की आंख मारे…..’ काफी लोकप्रिय हुआ। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर धमाल ही मचा दिया।

’केदारनाथ’(2018) के पहले श्रीदेवी की बेटी जाह्नवी कपूर के साथ सारा अली खान का कंपटीशन साफ नजर आ रहा था लेकिन ’सिंबा’ (2018) के साथ सारा अली खान, जाह्नवी कपूर के मुकाबले में काफी आगे बढ़ चुकी हैं।

’सिंबा’ (2018) के प्रमोशन के दौरान रोहित शेट््टी ने बताया कि सारा खुद ’सिंबा’ में कास्ट किए जाने हेतु उनके पास आई थीं। काफी दिनों तक जब उनकी ओर से सारा को कोई सकारात्मक संकेत नहीं मिले, तब अचानक रोजाना उसके मैसेज आने लगे थे। कुछ वजहों से ’केदारनाथ’(2018) के डिले होने पर अभिषेक कपूर ने भी उन्हें सारा को लेने का आग्रह किया और रोहित ने अपने कन्विक्शन के आधार पर सारा को रणवीर के अपोजिट ’सिंबा’ (2018) के लिए चुन लिया।

ऑडियंस को सारा का लुक और आत्म विश्वास खूब पसंद आ रहा है। उसकी एक्टिंग की भी खूब प्रशंसा हो रही है। आज की नौजवान पीढ़ी के ज्यादातर लोग सारा अली खान के नाजो अंदाज पर बुरी तरह फिदा हैं। यकीनन ’सिंबा’ (2018) के हिट होने का सारा को खूब फायदा मिल रहा है। 

करण जौहर की हालिया फ्लॉप फिल्म ’स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2’ का ऑफर पहले सारा अली खान के पास आया था लेकिन मम्मी अमृता सिंह को वह रोल अपीलिंग नहीं लगा, उनके इनकार के बाद ही फिल्म में तारा सुतारिया को लिया गया। 

इसी तरह सनी देओल अपने बेटे करण की डेब्यू फिल्म ’पल पल दिल के पास’ के लिए करण के अपोजिट सारा को साइन करने के इच्छुक थे लेकिन सारा ने उस ऑफर को स्वीकार नहीं किया।

सारा अली खान के मम्मी-डैडी चाहते थे कि फिल्मों में अपनी शुरूआत करने से पहले सारा अपनी पढ़ाई पूरी कर ले लेकिन फिर घटनाचक्र कुछ इस तरह घूमा कि सारा ने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़कर ’केदारनाथ’ (2018) साइन कर ली। 

’सिंबा’ (2018) के बाद सारा, कार्तिक आर्यन के अपोजिट वाली इम्तियाज अली की फिल्म कर रही हैं। इसे ’लव आजकल’ का सीक्वल बताया जा रहा है। इम्तियाज अली इसे पहले पार्ट से बिलकुल अलग बनाना चाहते हैं। इसमें हालिया दौर की रोमांटिक कहानी होगी। इसमें रणदीप हुडा भी एक बेहद महत्त्वपूर्ण किरदार में नजर आएंगे। इसे अगले साल फरवरी में रिलीज किए जाने की योजना है।

सारा ने एक बार कार्तिक को अपना क्रश बताते हुए कहा था कि वह कार्तिक को बहुत ज्यादा पसंद करती हैं और यदि मौका मिला तो उनके साथ डेट करना चाहेंगी। सारा और कार्तिक की दोस्ती की खबरें खूब सुर्खियों में छाई रही हैं। दोनों को एक दूसरे के काफी करीब माना जा रहा है।

इम्तियाज अली के अलावा सारा अली खान की झोली में धर्मा प्रोडक्शन की कन्नन अîर के निर्देशन में शुरू होने जा रही बायोपिक भी आ चुकी है। डेविड धवन ने ’कुली नंबर 1’ के रीमेक के लिए वरूण के अपोजिट सारा को लिया है। इसके अगले महीने सैट पर जाने की उम्मीद की जा रही है। प्रस्तुत हैं सारा अली खान के साथ की गई बातचीत के मुख्य अंश

क्या आपने अपनी मम्मी की तरह शुरू से एक एक्ट्रेस बनने के बारे में तय कर रखा था या यह सब कुछ अचानक हुआ ?

मैं बचपन से ही सिर्फ एक्ट्रेस बनने के बारे में ही सोचती रही हूं और मैंने अपनी ख्वाहिश से मम्मी-डैडी को अवगत भी करा दिया था लेकिन उनका कहना था कि पहले अपनी पढ़ाई पूरी करो, उसके बाद फिल्मों में काम करने के बारे में सोचो लेकिन मैं चाहकर भी अपनी पढ़ाई पर फोकस नहीं कर पा रही थी और बीच-बीच में ध्यान भटकता रहता था।

यदि आपका पढ़ाई में ज्यादा ध्यान नहीं था तो फिर आपने कोलंबिया यूनिवर्सिटी का रूख क्यों किया ?

मेरे लिए एजुकेशन केवल नौकरी पाने का जरिया नहीं थी। इसकी बदौलत में आत्म विश्वास से भरपूर शख्स बनना चाहती थी और काफी हद तक बन भी सकी। मुझे लगता है कि एजुकेशन हमें इंटरनली स्ट्रांग बनाती है।

आपने अपनी डेब्यू फिल्म ’केदारनाथ’ में न सिर्फ बिकिनी पहनी बल्कि किसिंग सीन्स भी दिए थे। आगे इसी लाइन पर चलने का इरादा है ?

अभी इस बारे में ज्यादा कुछ सोचा नहीं है लेकिन मुझे लगता है कि यदि कहानी की मांग और रोल की डिमांड हो तो ऐसा करने में कुछ हर्ज नहीं है। मैं वही करने की कोशिश करूंगी जो ऑडियंस के नजरिए से अच्छा होगा।

’सिंबा’ के सुपर हिट होते ही आप स्टार बन चुकी हैं। स्टारडम का कितना आनंद ले पा रही हैं ?

मैं खुद को स्टार नहीं मानतीं। स्टार जैसा महसूस करने के लिए न तो मेरे पास समय है और न मुझे लगता है कि भविष्य में कभी इस फीलिंग्स को महसूस कर सकूंगी क्योंकि एक्टिंग मेरा प्रोफेशन है और कैमरा ऑफ होते ही मैं अपने किरदार से बाहर निकलकर जल्दी से जल्दी सारा के रूप में आ जाना चाहती हूं। मुझे लगता है कि कोई यदि हर वक्त खुद को स्टार समझने की भूल करेगा तो लोग उसे पॉजिटिव नजरिए से देखना बंद कर देते हैं ।

आपकी दादी शर्मिला टैगोर ने आपकी प्रशंसा करते हुए कहा है कि आप अपने कैरियर की शुरूआत में ही इतनी अधिक कॉन्फिडेंट हैं जितनी वह 20 फिल्में करने के बाद भी नहीं थीं ?

कॉन्फिडेंस हमारे अंदर हमारी ईमानदारी की वजह से आता है हालांकि जो लोग अच्छे से झूठ बोल लेते हैं, पहली नजर में वे ज्यादा कॉन्फिडेंट नजर आते हैं लेकिन अंदर कहीं वे बेहद कमजोर होते हैं। ईमानदारी से उपजा भाव, आपके चेहरे पर कॉन्फिडेंस के रूप में हर वक्त नजर आता है। अभिनय की मुझे कोई खास जानकारी नहीं थी। मेरे पास कोई अनुभव भी नहीं था। बस मैंने अपना काम ईमानदारी से करने की कोशिश की है और आगे भी करती रहूंगी क्योंकि मेरे पास आगे बढ़ने का एकमात्रा यही तरीका है।

आपकी कामयाबी पर आपके परिवार की क्या प्रतिक्रिया रही ?

मम्मी, डैडी और भाई सभी बेहद खुश हैं लेकिन उनकी इस खुशी को मैं बहुत नॉर्मली लेती हूं क्योंकि मुझे पता है मैं जो कुछ भी करूंगी वह तो उन्हें पसंद आएगा ही। मुझे सच्ची खुशी ऑडियंस और क्रीटिक्स से मिलने वाली अच्छी प्रतिक्रिया के बाद ही होगी। हालांकि उनकी ओर से भी मुझे अच्छे रिएक्शन्स मिले हैं लेकिन इस मामले में मेरी भूख जरूरत से ज्यादा है।

अभिषेक कपूर और रोहित शेट््टी के साथ काम करने का एक्सपीरियंस किस तरह का रहा ?

दोनों ही डायरेक्टर्स के साथ काम करते हुए मैंने न सिर्फ काफी कुछ सीखा, बल्कि खूब एंजोए भी किया लेकिन सिर्फ इतने से काम चलने वाला नहीं। मुझे लगता है कि रोजाना कुछ न कुछ नया सीखने के लिए मुझे नए नए लोगों के साथ काम करना होगा।

मम्मी या डैडी ? आपके ऊपर इनमें से, ज्यादा प्रभाव किसका रहा है ?

मेरी लाइफ में मॉम डैड दोनों का ही प्रभाव है लेकिन सबसे अहम बात यह है कि 14 साल पहले डैडी से अलग होने के बाद से मेरी मॉम ने एक सिंगल पेरेंट के तौर पर हरदम हमें सुरक्षित होने का एहसास करवाते हुए  मुझे व मेरे भाई को पूरी तरह नार्मल रखा।

मम्मी-डैडी के अलग हो जाने को किस रूप में लेती हैं। क्या कभी पिता के साथ न रह पाने का मन में मलाल हुआ ?

मुझे लगता है कि एक ही घर में नाखुश माता-पिता के एक साथ रहने से अच्छा है कि वो अलग अलग घरों में खुश रहें। मेरे और मेरे भाई की पैदाइश के बाद जिस तरह से मॉम ने हमारी परवरिश पर विशेष रूप से ध्यान दिया, उसकी वजह से कभी अफसोस नहीं रहा। 

आगे आप किस तरह की फिल्में करना चाहती हैं ?

फिलहाल मैंने अपनी पसंद और ख्वाहिश दोनों को साइड में डाल रखा है और बस मैं तो यह देख रही हूं कि, मेरे पास किस तरह के ऑफर आ रहे हैं ? उनमें से कौन से हैं जो मुझे रोमांचित कर पा रहे हैं ? बतौर एक्ट्रेस मैं अपने हर किरदार के साथ नए नए प्रयोग करना चाहती हूं लेकिन हाल फिलहाल मैंने खुद को डायरेक्टर्स के हवाले रख छोड़ा है। जैसा वो चाहते हैं, बस वैसा करने की कोशिश कर रही हूं।

एक्टिंग को किस रूप में लेती हैं ? एक्टिंग के प्रोफेशन में आपका हंसना, रोना और इमोशन सब कुछ बनावटी होता है लेकिन मेरी कोशिश होती है कि अपने किरदारों में ज्यादा से ज्यादा रियल नजर आऊं।

*सुभाष शिरढोनकर

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