प्रदीप द्विवेदी ( WhatsApp- 8302755688). दक्षिण राजस्थान के बांसवाड़ा जिले की एक इंच जमीन पर भी रेल नहीं है और रतलाम, बांसवाड़ा, डूंगरपुर रेल योजना पर भी प्रश्नचिन्ह है, इसलिए यदि दानपुर के पास हवाई अड्डा बनता है, जिसकी मांग की जा रही है, तो फिल्म निर्माताओं को फायदा होगा, तीन राज्यों- राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात के कई शहरों-कस्बों को फायदा होगा. दानपुर, रतलाम और बांसवाड़ा से लगभग समान दूरी पर है, बांसवाड़ा से 37 किमी, तो रतलाम से 46 किमी.
दानपुर का हवाई अड्डा बांसवाड़ा-रतलाम के लिए ही नहीं, प्रतापगढ़, दाहोद, सागवाड़ा, तलवाड़ा, सैलाना, मंदसौर, जावरा, परतापुर, कुशलगढ़, घाटोल, थांदला, झाबूआ, आसपुर, जैसे अनेक क्षेत्रों के लोगों के लिए उपयोगी माना जा रहा है.
दानपुर से प्रतापगढ़ जहां 75 किमी है, वहीं उदयपुर हवाई अड्डे से प्रतापगढ़ की दूरी 150 किमी है. हालांकि, उदयपुर का हवाई अड्डा डबोक, डूंगरपुर जिले के कुछ क्षेत्रों के लिए तो पास है, लेकिन सागवाड़ा, आसपुर आदि के लिए दानपुर ही करीब है. सागवाड़ा और दानपुर के बीच दूरी 93 किमी है, जबकि सागवाड़ा से उदयपुर हवाई अड्डे डबोक की दूरी 145 किमी है. कुशलगढ़ से दानपुर की दूरी 72 किमी है.
याद रहे, यदि इस क्षेत्र में हवाई सेवाएं उपलब्ध होती हैं, तो मयूर, बांसवाड़ा सिन्टेक्स जैसे स्थापित उद्योगों के विकास में तो सहयोग मिलेगा ही, नए उद्योगों के यहां स्थापित होने की संभावनाएं भी बढ़ जाएंगी. इससे इस क्षेत्र के मार्बल उद्योग को भी बड़ा फायदा होगा.
इस क्षेत्र के हजारों लोग खाड़ी देशों और देश के महानगरों में काम करते हैं और हजारों छात्र-छात्राएं उच्च शिक्षा के लिए देश के विभिन्न शहरों में हैं.
यदि रतलाम, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, दाहोद क्षेत्र के जन प्रतिनिधियों की कोशिशें रंग लाती हैं, तो रेलवे सेवाओं का लाभ इस आदिवासी क्षेत्र को जल्दी से मिले या नहीं मिले, हवाई सेवाएं जरूर उपलब्ध हो सकती हैं.