
दक्षिण राजस्थान में बच्चों को गिरवी रखने का मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर उभरा!
बांसवाड़ा (प्रेस रिव्यू). दक्षिण राजस्थान में बच्चों को गिरवी रखने का मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुखता से उभरा है.
नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट- राजस्थान और मध्य प्रदेश के आदिवासी इलाकों में 30 हजार रुपये में बिक रहे बाल मजदूर, में बताया गया है कि….
* बांसवाड़ा के कुछ गांवों से कम उम्र के बच्चे रातों-रात गायब हो गए और फिर कभी दिखाई नहीं दिए.
* एक बच्चे को उज्जैन में एक गड़रिया के साथ भेज दिया गया था, जहां वह तीन साल मजदूरी करता रहा.
* इस मासूम ने बिना भोजन और नींद के कई रातें गुजारीं जब तक उसे यहां से रेस्क्यू नहीं कराया गया.
इससे पहले दैनिक भास्कर में 12 जून 2019 को चिराग द्विवेदी और दीपेश मेहता की प्रकाशित खास खबर- यहां बच्चे गिरवी हैं, क्योंकि… उन्हें खिलाने के लिए घर में कुछ नहीं! को लेकर राजस्थान से राज्यसभा सांसद डाॅ. किरोड़ीलाल मीणा ने राज्यसभा में बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ जिलों में बच्चों के गिरवी रखने का मुद्दा उठाया.
उन्होंने इस खबर के हवाले से कहा कि- राजस्थान में आदिवासियों की स्थिति खराब है. वहां पर भूखमरी व्याप्त है और सरकारी योजनाओं ने दम तोड़ दिया है. इन सबकी वजह से वहां अजीबो-गरीब स्थितियां बन गई हैं. बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ के 8 से 10 गांवों में स्थिति ऐसी है कि आदिवासियों को अपना पेट पालने के लिए अपने ही बच्चों को गिरवी रखना पड़ रहा है. सालभर के 30 हजार रुपए के लिए 10 से 12 साल के बच्चों को गिरवी रखना अपने आप में सरकार के लिए लानत है.
उल्लेखनीय है कि इस क्षेत्र में जो हालात हैं, उनको लेकर कई बार खबरें आती रही हैं, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जाता हैं. यही वजह है कि जरूरत पड़ने पर बच्चे ही नहीं और भी बहुत कुछ प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष गिरवी रखना पड़ता है, जिसकी पड़ताल की जाए तो कई चैंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं. यही नहीं, ब्याजखोरों से तो कर्ज लेने पर इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है? दीपेश मेहता और चिराग द्विवेदी की पड़ताल इस क्षेत्र की बेहद गंभीर समस्या को उजागर करती है!
नवभारत टाइम्स की पूरी रिपोर्ट यहां पढ़ें….
https://navbharattimes.indiatimes.com/state/rajasthan/others/child-labourer-cost-only-30000-in-tribal-parts-of-rajasthan-and-madhya-pradesh/articleshow/70443072.cms